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गोवर्धन पूजा 2025: पूजा विधि मुहूर्त, कथा और 56 भोग का महत्व

नई दिल्ली: दिवाली के अगले दिन मनाया जाने वाला गोवर्धन पूजा (Annakut Puja) हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है। यह पर्व इस वर्ष 22 अक्टूबर 2025, बुधवार को मनाया जाएगा। कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे से शुरू होकर 22 अक्टूबर रात 8:16 बजे तक रहेगी। चूंकि प्रतिपदा तिथि का सूर्योदय 22 तारीख को होगा, इसलिए पूजा उसी दिन करना शुभ माना गया है।

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त

  • तिथि: 22 अक्टूबर 2025, बुधवार
  • प्रातःकालीन मुहूर्त: सुबह 6:30 से 8:47 बजे तक
  • सायाह्नकालीन मुहूर्त: शाम 3:36 से 5:52 बजे तक

गोवर्धन पूजा का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र देव के घमंड को तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था। तब से ब्रजवासी गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। यह पर्व प्रकृति, पशुधन और मानव के बीच संतुलन और आभार का प्रतीक भी माना जाता है।

गोवर्धन पूजा विधि

पूजा से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर के आंगन या पूजा स्थल में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं। पर्वत के साथ गाय, बछड़े और श्रीकृष्ण की मूर्ति बनाकर उन्हें फूलों से सजाएं। पर्वत की नाभि पर मिट्टी का दीपक रखें और उसमें दूध, दही, शहद, बताशे और गंगाजल डालें।

इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें, आरती करें और सात बार परिक्रमा करें। परिक्रमा करते समय हाथ में जल से भरा कलश लेकर जल की धारा गिराते जाएं और जौ के बीज बोते हुए चक्कर लगाएं। पूजा के बाद सभी को प्रसाद बांटें और गायों को हरा चारा खिलाएं।

गोवर्धन पूजा सामग्री

पूजन सामग्री में गोबर, कलश, गंगाजल, मोरपंख, पुष्प, दीपक, धूप, रोली, हल्दी, चावल, पंचामृत के लिए दूध-दही-घी-शहद-शक्कर, मिठाई और मौसमी फल शामिल हैं। पूजा के समय शंख, घंटा और आरती थाली का प्रयोग शुभ माना जाता है।

अन्नकूट उत्सव और 56 भोग

अन्नकूट का अर्थ है “अन्न का ढेर”। इस दिन भगवान कृष्ण को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। कथा के अनुसार, जब श्रीकृष्ण ने सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को धारण किया, तब माता यशोदा ने सात दिनों तक आठ पहर के अनुसार 56 व्यंजन बनवाए। इसीलिए 56 भोग का चलन शुरू हुआ। इसमें मीठे, नमकीन और खट्टे स्वादों के विविध व्यंजन शामिल होते हैं।

गोवर्धन पूजा आरती

गोवर्धन महाराज की आरती में भगवान के स्वरूप का वर्णन किया जाता है — “तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ, तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ…”। यह आरती भक्तों को समर्पण, विनम्रता और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का संदेश देती है।

गोवर्धन पूजा में दान और सेवा का महत्व

इस दिन गायों को भोजन कराने, गरीबों में अन्न और वस्त्र दान करने और ब्राह्मणों को भोजन कराने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, गोवर्धन पूजा से परिवार में सुख, समृद्धि और शांति आती है।

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