गणेश चतुर्थी 19 सितंबर से 28 सितंबर तक
त्यौहार की उत्पत्ति:
गणेश चतुर्थी त्यौहार की उत्पत्ति हिंदू पौराणिक कथाओं में मिलती है। भगवान गणेश, जो ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि के देवता हैं, का जन्म भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। इसी दिन से यह त्यौहार मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का पर्व हिन्दू पौराणिक कथाओं से जुड़ा है। इसकी उत्पत्ति का कथा इस प्रकार है- भगवान श्री गणेश जी का जन्म भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था।
गणेश चतुर्थी की कथा इस प्रकार है:
एक दिन, देवी पार्वती ने अपने पति, भगवान शिव के मिट्टी से एक मूर्ति बनाई और उस मूर्ति का नाम गणेश रखा और उसमे जीवन दिया। गणेश जी को द्वार पर खरा करके स्नान करने चली गई। उसी समय, भगवान शिव घर आए। भगवन शिव अपनी पत्नी पार्वती से मिलाना चाहते थे लकिन गणेश जी ने उन्हें जाने से रोक दिया। क्योंकि माता पार्वती मना की थी किसी को भी अंदर आने से , इसलियए भगवन शिव को उनपे गुस्सा आया और उन्होंने उनका सर धर से अलग कर दिया जब माता पार्वती को इस घटना के बारे में पता चला तो उन्होंने महादेव से कहा की उनके पुत्र को जीवित करें। उसी समय एक हाथी के सर को गणेश जी के सर के स्थान पर लगा दिया जिससे वो पुनः जीवित हो गए इस दिन से गणेश जन्मोत्सव मनाया जाता है
कैसे मनाया जाता है यह त्योहार:
गणेश चतुर्थी के दिन लोग गणपति बप्पा की मूर्ति की स्थापना करते हैं, मूर्तियों का निर्माण बहुत ध्यान से किया जाता हैऔर वे विभिन्न प्रकार की सजावट के साथ तैयार की जाती हैं। इसके बाद, गणपति बप्पा की पूजा करते है, विभिन्न प्रकार की आरती, गाने और धार्मिक अद्भुत क्रियाएँ की जाती हैं।गणेश चतुर्थी के दौरान, परिवारों और दोस्तों के साथ खुशी-खुशी समय बिताते हैं और सोमवार को विशेष रूप से पूजा किया जाता है, क्योंकि यह गणपति का दिन होता है। लोग विभिन्न प्रकार की नृत्य और संगीत प्रस्तुत करते हैं और उनके द्वारा उपहार दिए जाते हैं, जैसे कि मिठाई, पूजा सामग्री और सिंदूर। इस पर्व के दौरान, विवाहित महिलाएँ अपने पतियों की दीर्घायु और सुखमय जीवन की कामना करती हैं और गणेश चतुर्थी के पर्व के दौरान, लोग अपने घरों में गणपति जी की मूर्तियों की स्थापना करते हैं और उन्हें पूजा करते हैं। मूर्तियों को सुंदर रूप में सजाया जाता है और पूजा के दौरान विभिन्न प्रकार के फल, मिठाई और पूजा सामग्री का अर्चना किया जाता है। यह पर्व 10 दिनों तक मनाया जाता है गणेश चतुर्थी के पर्व का हार्दिक अंत होने पर, गणपति मूर्तियों की विसर्जन की प्रक्रिया आयोजित की जाती है, जिसमें मूर्तियाँ नदी या समुंदर के पास ले जाई जाती हैं और विसर्जन का आयोजन किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, भक्त गाने गाते हैं और गणपति बप्पा के दरबार में आवाज लगाते हैं।
पर्व का आध्यात्मिक महत्त्व:
गणेश चतुर्थी का पर्व हिन्दू धर्म में महत्त्वपूर्ण है, जो भगवान गणेश के प्रति भक्ति, समर्पण और पवित्रता का प्रतीक है। यह पर्व विद्या, कला और क्रियात्मकता का महत्त्व बताता है और लोगों को गणपति बप्पा की आराधना में लिने का अवसर प्रदान करता है। इसके साथ ही, यह पर्व परिवारों को एक साथ आने और विवाहित जीवन को मजबूत बनाने का अवसर भी प्रदान करता है। गणेश चतुर्थी का महत्त्व हिन्दू धर्म में अत्यधिक है। यह पर्व गणेश भगवान के प्रति भक्ति, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। गणपति बप्पा को बुद्धि के देवता के रूप में माना जाता है और यह पर्व विद्या और कला की प्रशंसा करता है। इसके साथ ही, यह पर्व सामाजिक एकता का प्रतीक भी है, क्योंकि लोग एक साथ आकर्षण करते हैं और मिलकर पूजा करते हैं। गणेश चतुर्थी त्यौहार का आध्यात्मिक महत्त्व बहुत अधिक है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है। उनका मानना है कि वे अपने भक्तों के जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं। इसलिए, गणेश चतुर्थी का त्यौहार एक शुभ अवसर माना जाता है, जिसका उपयोग नए कार्यों और परियोजनाओं की शुरुआत करने के लिए किया जाता है।
वह क्षेत्र जहाँ यह मनाया जाता है:
गणेश चतुर्थी का पर्व मुख्य रूप से भारत में मनाया जाता है, खासकर महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में। इसके अलावा, यह पर्व दुनियाभर के हिन्दू समुदायों द्वारा भी मनाया जाता है, जो विदेशों में रहते हैं।गणेश चतुर्थी का पर्व हिन्दू समुदाय की महत्त्वपूर्ण परंपरा है, जो भगवान गणेश के आगमन को मनाने का त्यौहार है और लोगों को संगीत, नृत्य और धर्मिक आयोजनों का आनंद लेने का अवसर प्रदान करता है। इस पर्व का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है जो भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को मजबूती से बढ़ाता है और गणपति बप्पा के आगमन के अनमोल किस्से को जिन्दा रखता है।
त्यौहार का इतिहास:
गणेश चतुर्थी का पर्व हिन्दू पौराणिक कथाओं से जुड़ा है, जो गणेश भगवान के आगमन को याद करने के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व विद्या, कला और बुद्धि के देवता गणेश की पूजा करने का अवसर प्रदान करता है और विभिन्न प्रकार की कला और संस्कृति को प्रकट करता है। इस पर्व का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है जो भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को मजबूती से बढ़ाता है और गणपति बप्पा के आगमन के अनमोल किस्से को जिन्दा रखता है। गणेश चतुर्थी त्यौहार का इतिहास बहुत पुराना है। माना जाता है कि यह त्यौहार 2000 से अधिक वर्षों से मनाया जा रहा है। प्रारंभ में, यह त्यौहार केवल महाराष्ट्र में मनाया जाता था। लेकिन धीरे-धीरे, यह पूरे भारत और दुनिया भर के अन्य देशों में फैल गया
वर्तमान वर्ष में इस त्यौहार की तिथियाँ
वर्तमान वर्ष, 2023 में, गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को मनाई जाएगी। गणेश विसर्जन 28 सितंबर को होगा।