शरद पूर्णिमा की उत्पत्ति
शरद पूर्णिमा का अर्थ है शरद ऋतु की पूर्णिमा। यह त्यौहार शरद ऋतु के आगमन का प्रतीक है, जो भारत में एक समृद्ध और फसलों से भरा समय है। इस दिन लोग व्रत भी रखते हैं और अपने द्वार में प्राप्त सभी धन और संपत्ति को धन्य करने का रितुअल भी करते हैं। अक्सर इस दिन रात को चंद्रमा की विशेष पूजा की जाती है, जिसमें लक्ष्मी माँ के आगमन के लिए चांद की मुद्रा का उपयोग किया जाता है।
इस दिन, राधा कृष्ण, शिव पार्वती और लक्ष्मी नारायण जैसे कई हिंदू दिव्य जोड़ों की पूजा चंद्र देवता के साथ की जाती है और उन्हें फूल और खीर (चावल और दूध से बना मीठा पकवान) चढ़ाया जाता है। मंदिरों में देवताओं को आमतौर पर सफेद रंग के कपड़े पहनाए जाते हैं जो चंद्रमा की चमक को दर्शाते हैं। शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा, कुमारा पूर्णिमा, अश्विन पूर्णिमा, कौमुदी पूर्णिमा, या नवन्न पूर्णिमा भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला एक महत्त्वपूर्ण त्यौहार है।
शरद पूर्णिमा को मनाने के पीछे कई मान्यताएँ हैं। एक मान्यता यह है कि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। इस दिन चंद्रमा की रोशनी अमृत से भरी होती है, जो मनुष्यों को शक्ति और दीर्घायु प्रदान करती है। इसलिए, इस दिन लोग चंद्रमा की रोशनी में खीर बनाते हैं और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
एक अन्य मान्यता यह है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने राधा और गोपियों के साथ रासलीला की थी। इस दिन लोग राधा और कृष्ण की पूजा करते हैं और रासलीला का आयोजन करते हैं। शरद पूर्णिमा के दिन लोग माता लक्ष्मी की भी पूजा करते हैं। माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी धरती पर आती हैं और अपने भक्तों को धन और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इसलिए, इस दिन लोग माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
शरद पूर्णिमा कैसे मनाया जाता है
इस त्यौहार को मनाने के लिए कई तरह के रीति-रिवाज हैं।
- खीर बनाना और उसे चंद्रमा की रोशनी में रखना शरद पूर्णिमा त्यौहार का सबसे महत्त्वपूर्ण रीति-रिवाज है। इस दिन लोग खीर बनाते हैं और उसे चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर बनाने से उसे अमृत का गुण प्राप्त हो जाता है।
- राधा और कृष्ण की पूजा करना शरद पूर्णिमा त्यौहार को राधा और कृष्ण के लिए भी एक महत्त्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है। इस दिन लोग राधा और कृष्ण की पूजा करते हैं और रासलीला का आयोजन करते हैं।
- माता लक्ष्मी की पूजा करना शरद पूर्णिमा त्यौहार को माता लक्ष्मी के लिए भी एक महत्त्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है। इस दिन लोग माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं और उनसे धन और समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं।
- दान-पुण्य करना शरद पूर्णिमा त्यौहार के अवसर पर लोग दान-पुण्य भी करते हैं। वे गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े और पैसे आदि दान करते हैं।
- भजन-कीर्तन करना शरद पूर्णिमा त्यौहार के अवसर पर लोग भजन-कीर्तन भी करते हैं। वे भगवान की प्रशंसा करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।
शरद पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्त्व
शरद पूर्णिमा त्यौहार का आध्यात्मिक महत्त्व बहुत अधिक है। इस दिन लोग भगवान की कृपा प्राप्त करने और मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते हैं। इस दिन लोग चंद्रमा की पूजा करते हैं, जो ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक है। वे माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं, जो धन और समृद्धि की देवी हैं। वे राधा और कृष्ण की पूजा करते हैं, जो प्रेम और भक्ति के प्रतीक हैं। शरद पूर्णिमा त्यौहार लोगों को एक साथ लाने और उन्हें आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने का एक अवसर है।
वह क्षेत्र जहाँ शरद पूर्णिमा मनाया जाता है
शरद पूर्णिमा त्यौहार भारत, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार और थाईलैंड सहित दक्षिण एशिया के कई देशों में मनाया जाता है। भारत में यह त्यौहार विशेष रूप से उत्तर भारत में बहुत लोकप्रिय है।
वर्तमान वर्ष में इस त्यौहार की तिथियाँ
वर्तमान वर्ष में शरद पूर्णिमा त्यौहार 28 अक्टूबर, शनिवार2023 को मनाया जाएगा। यह दिन आश्विन मास की पूर्णिमा है।