ऋषिकेश उत्तराखंड राज्य के देहरादून जिले में स्थित एक पवित्र शहर है। यह गंगा नदी के तट पर स्थित है, जो इसे एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बनाता है। ऋषिकेश को “योग की राजधानी” भी कहा जाता है और यहाँ दुनिया भर से लोग योग सीखने और ध्यान करने के लिए आते हैं।
पुराणिक इतिहास
ऋषिकेश का उल्लेख कई हिंदू ग्रंथों में किया गया है, जिनमें स्कंद पुराण, रामायण और महाभारत शामिल हैं। स्कंद पुराण के अनुसार, इस क्षेत्र का नाम कुब्जाम्रक है क्योंकि यहाँ भगवान विष्णु ने आम के पेड़ के नीचे रैभ्य ऋषि को दर्शन दिए थे। रैभ्य ऋषि ने अपनी लंबी तपस्या के लिए स्थान चुना, भगवान विष्णु उनके कार्य से प्रसन्न हुए और ऋषि को “हृषिकेश” के रूप में दर्शन दिए। यह शब्द दो शब्दों हृषिक और एष से मिलकर बना है। हृषि का अर्थ है इंद्रियाँ और एष का अर्थ है ईश्वर या स्वामी। इसका अर्थ है इंद्रियों का देवता।
किंवदंतियाँ
ऋषिकेश के बारे में कई किंवदंतियाँ भी हैं। एक किंवदंती के अनुसार, भगवान विष्णु ने शक्तिशाली राक्षस मधु को हराने के लिए इस स्थान पर तपस्या की थी। एक अन्य किंवदंती के अनुसार, भगवान राम ने शक्तिशाली राक्षस रावण को मारने के लिए इस स्थान पर तपस्या की थी। लक्ष्मण (भगवान राम के भाई) ने जूट पुल से नदी पार की, जिसे लक्ष्मण झूला के नाम से जाना जाता है।
ऐतिहासिक काल
ऋषिकेश का ऐतिहासिक काल 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व से शुरू होता है, जब कुणिंद राजवंश ने इस क्षेत्र पर शासन किया था। बाद में यहाँ शक राजाओं और नाग राजाओं ने शासन किया। 1398 में वत्सराज इस क्षेत्र के राजा थे। 1493 से 1500 के दौरान अजयपाल राजा थे। 1804 से 1815 के दौरान गोरखा राजाओं ने पूरे क्षेत्र पर शासन किया। 1815 के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी यहाँ आई।
आधुनिक काल
आज़ादी के बाद यह क्षेत्र उत्तर प्रदेश में विलीन हो गया। 2000 में उत्तराखंड उत्तर प्रदेश से स्वतंत्र हो गया। 2007 में उत्तराखंड को उत्तराखंड नाम दिया गया।
19वीं शताब्दी में, ऋषिकेश एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र बन गया। स्वामी शिवानंद, स्वामी रामकृष्ण परमहंस के शिष्य, ने 1890 में मुनि की रेती में एक आश्रम की स्थापना की। 1917 में, स्वामी दानराज गिरी ने कैलाश आश्रम की स्थापना की। 1925 में, परमार्थ निकेतन की स्थापना स्वामी शुकदेवानंदजी ने की। 1960 के दशक में, ऋषिकेश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि प्राप्त करने लगा। बीटल्स ने योग का अध्ययन करने के लिए ऋषिकेश का दौरा किया और तब से इस शहर ने खुद को “दुनिया की योग राजधानी” के रूप में स्थापित किया है।
आज का ऋषिकेश
आज, ऋषिकेश एक जीवंत और आकर्षक शहर है। यह एक लोकप्रिय तीर्थस्थल, पर्यटन स्थल और आध्यात्मिक केंद्र है। शहर में कई मंदिर, आश्रम और योग केंद्र हैं। ऋषिकेश में कई साहसिक गतिविधियाँ भी उपलब्ध हैं, जिनमें राफ्टिंग, कैंपिंग और ट्रेकिंग शामिल हैं। ऋषिकेश एक ऐसा शहर है जो आध्यात्मिकता और रोमांच का एक अनूठा मिश्रण प्रदान करता है। यह एक ऐसी जगह है जहाँ आप शांति और ध्यान पा सकते हैं, या साहसिक गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं।
ऋषिकेश में आकर्षण
ऋषिकेश, उत्तराखंड का एक छोटा-सा शहर है जो अपने आध्यात्मिक महत्त्व, प्राकृतिक सुंदरता और साहसिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। यहाँ ऋषिकेश में घूमने लायक कुछ प्रमुख आकर्षण दिए गए हैं:
- त्रिवेणी घाट: ऋषिकेश का सबसे बड़ा स्नान घाट, त्रिवेणी घाट गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित है। यहाँ हर शाम एक भव्य गंगा आरती का आयोजन किया जाता है।
- लक्ष्मण झूला: गंगा नदी पर एक लोकप्रिय पैदल यात्री पुल, लक्ष्मण झूला ऋषिकेश और लक्ष्मण झूला क्षेत्र को जोड़ता है। यहाँ से शहर और नदी का सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
- राम झूला: लक्ष्मण झूला के समान, राम झूला भी एक लोकप्रिय पैदल यात्री पुल है जो शिवानंद आश्रम और स्वर्ग आश्रम को जोड़ता है।
- परमार्थ निकेतन: एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक आश्रम, परमार्थ निकेतन हर साल अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन करता है।
- नीलकंठ महादेव मंदिर: गढ़वाल हिमालय में स्थित, नीलकंठ महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है।
- शिवानंद आश्रम: एक और लोकप्रिय आध्यात्मिक आश्रम, शिवानंद आश्रम योग और ध्यान के लिए एक प्रमुख केंद्र है
- भरत मंदिर: ऋषिकेश के सबसे पुराने मंदिरों में से एक, भरत मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।
- गीता भवन: भगवत गीता पर ध्यान केंद्रित करने वाला एक आश्रम, गीता भवन एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।
- स्वर्ग आश्रम: ऋषिकेश के सबसे लोकप्रिय क्षेत्रों में से एक, स्वर्ग आश्रम विभिन्न आश्रमों, मंदिरों और दुकानों का घर है।
- तेरा मंजिल मंदिर: 13 मंजिला मंदिर, तेरा मंजिल मंदिर विभिन्न देवताओं को समर्पित है।
- बीटल्स आश्रम: बीटल्स के पूर्व निवास स्थान, बीटल्स आश्रम अब एक ऐतिहासिक स्थल है।
- जंगल वाइब्स: एक संगीत वाद्ययंत्र निर्माण कार्यशाला, जंगल वाइब्स आपको ऑस्ट्रेलियाई डिडगेरिडू और अफ्रीकन जेम्बे जैसी वाद्ययंत्र बनाना सिखाती है।
ऋषिकेश में गंगा आरती
ऋषिकेश में गंगा आरती एक महत्त्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। यह गंगा नदी के लिए एक सम्मानजनक समारोह है, जिसे हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है।
गंगा आरती कहाँ होती है?
ऋषिकेश में दो प्रमुख स्थान हैं जहाँ गंगा आरती होती है:
- परमार्थ निकेतन: यह एक आध्यात्मिक आश्रम है जो ऋषिकेश में स्थित है। यहाँ हर शाम एक भव्य गंगा आरती का आयोजन किया जाता है।
- त्रिवेणी घाट: यह गंगा, यमुना और सरस्वती नदियोंके संगम पर स्थित एक घाट है। यहाँ हर शाम एक सरल लेकिन सुंदर गंगा आरती का आयोजन किया जाता है।
गंगा आरती कैसे देखें?
गंगा आरती देखने के लिए, आपको बस इन स्थानों पर शाम को जाना होगा। दोनों स्थानों पर आरती के लिए प्रवेश निःशुल्क है।
गंगा आरती देखने का सबसे अच्छा समय क्या है?
गंगा आरती आमतौर पर शाम 5: 30 बजे से शुरू होती है और 6: 30 बजे तक चलती है। हालांकि, यह समय मौसम और अन्य कारकों के आधार पर भिन्न हो सकता है।
ऋषिकेश: योग और ध्यान का स्वर्ग
ऋषिकेश में योग की एक विस्तृत शृंखला उपलब्ध है, जिसमें हठ योग, ध्यान योग और भक्ति योग शामिल हैं। आप छोटे सत्रों में योग का अनुभव कर सकते हैं या आप यहाँ रहकर योग सीखने के लिए एक सप्ताह या महीना बिता सकते हैं।
ऋषिकेश में कई योग शिक्षक हैं जो आपको अनोखे तरीके से योग सिखा सकते हैं। वे आपको अपने शरीर और मन को ठीक करने और एक बेहतर जीवन जीने के लिए योग का उपयोग करने में मदद कर सकते हैं।
ऋषिकेश की यात्रा का सबसे अच्छा समय
ऋषिकेश की यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है, जब मौसम ठंडा और सुहावना होता है। गर्मियों में, ऋषिकेश में बहुत गर्मी होती है और मानसून के दौरान बारिश होती है।
ऋषिकेश कैसे पहुँचे
ऋषिकेश हवाई, सड़क और रेल मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। निकटतम हवाई अड्डा देहरादून में है, जो ऋषिकेश से लगभग 25 किलोमीटर दूर है। ऋषिकेश सड़क मार्ग से दिल्ली, मुंबई और अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। ऋषिकेश का निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार है, जो ऋषिकेश से लगभग 22 किलोमीटर दूर है।
ऋषिकेश का नामकरण
ऋषिकेश नाम दो शब्दों से मिलकर बना है: “ऋषि” और “केश” । “ऋषि” का अर्थ है “संत” और “केश” का अर्थ है “बाल” । एक मान्यता के अनुसार, ऋषिकेश शहर का नाम एक प्रसिद्ध संत, रिहाना ऋषि के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने भगवान विष्णु की तपस्या की थी। भगवान विष्णु ने रिहाना ऋषि को दर्शन दिए थे और उन्होंने उन्हें “ऋषिकेश” नाम दिया था।
ऋषिकेश की धार्मिक मान्यताएँ
ऋषिकेश के साथ कई धार्मिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं। एक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान, शिव ने विष को पीया था। विष के प्रभाव से शिव का शरीर नीला पड़ गया था और उन्हें नीलकंठ के नाम से जाना जाने लगा। यह माना जाता है कि शिव ने विष ऋषिकेश में पिया था।
ऋषिकेश का आध्यात्मिक महत्त्व
ऋषिकेश को हिंदू धर्म में एक महत्त्वपूर्ण स्थान माना जाता है। यहाँ कई योग संस्थान और आश्रम हैं, जो योग और ध्यान के छात्रों को आकर्षित करते हैं। ऋषिकेश में कई प्रसिद्ध संत और आध्यात्मिक गुरु रहे हैं, जिनमें महर्षि महेश योगी, ओशो और श्री-श्री रविशंकर शामिल हैं।