ब्रह्मा मंदिर: पुष्कर का अद्वितीय मंदिर
हिंदू धर्म में देवी-देवताओं के बहुत से प्रसिद्ध मंदिर और तीर्थस्थल हैं। सभी देवी-देवताओं के हर प्रमुख स्थान पर मंदिर बने हुए हैं। हिंदू धर्म के तीन प्रमुख देवताओं में से एक ब्रह्मा जी हैं, जो सृष्टि के निर्माता माने जाते हैं। ब्रह्मा जी का पूरे भारत में सिर्फ एक ही मंदिर है, जो राजस्थान के पुष्कर में स्थित है। यह मंदिर हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण मंदिर है। ब्रह्मा जी को हिंदू धर्म में सृष्टि के निर्माता के रूप में माना जाता है। ब्रह्मा मंदिर संगमरमर से बना है और चांदी के सिक्कों से जड़ा हुआ है। मंदिर का गर्भगृह चतुर्मुखी ब्रह्मा जी की प्रतिमा से सुशोभित है। ब्रह्मा जी की प्रतिमा के चारों मुख पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशाओं की ओर हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर सूर्य भगवान की संगमरमर की मूर्ति है। यह मूर्ति एक प्रहरी की तरह खड़ी है। इस मूर्ति की विशेषता यह है कि भगवान सूर्य जूते पहने हुए हैं। ब्रह्मा मंदिर पुष्कर का एक प्रमुख तीर्थस्थल और पर्यटन स्थल है। यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं
मंदिर की पौराणिक कथा
इसके पीछे की कहानी पद्म पुराण में मिलती है। एक बार ब्रह्मा जी अपने वाहन हंस पर सवार होकर अग्नि यज्ञ के लिए उचित स्थान की तलाश कर रहे थे। तभी उनकी पत्नी सावित्री ने उन्हें एक जगह पर कमल का फूल गिराते हुए देखा। ब्रह्मा जी ने उस कमल के फूल को उठाकर अपनी पत्नी को दिया। सावित्री ने उस फूल को अपने सिर पर रख लिया और ब्रह्मा जी से कहा कि वह उस स्थान पर यज्ञ करें। ब्रह्मा जी ने सावित्री की बात मान ली और उस स्थान पर यज्ञ किया। यज्ञ के बाद ब्रह्मा जी ने उस स्थान पर एक मंदिर बनवाया और उसमें अपनी प्रतिमा स्थापित की। लेकिन सावित्री ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि उनका मंदिर पूरे भारत में सिर्फ एक ही होगा। सावित्री ने ब्रह्मा जी को यह श्राप इसलिए दिया क्योंकि उन्होंने कमल का फूल उठाने के बाद उसे अपनी पत्नी को नहीं दिया था। सावित्री ने कहा कि ब्रह्मा जी ने उनकी भावनाओं की अवहेलना की है। ब्रह्मा जी ने सावित्री से माफी मांगी, लेकिन सावित्री ने अपना श्राप वापस नहीं लिया। इसलिए आज भी ब्रह्मा जी का मंदिर पूरे भारत में सिर्फ एक ही है।
पुष्कर मंदिर की कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मा जी ने पृथ्वी पर भक्तों की भलाई के लिए एक यज्ञ करने का फैसला किया। उन्होंने अपने एक कमल को पृथ्वी पर भेजा और जिस स्थान पर कमल गिरा, उसी जगह को उन्होंने यज्ञ के लिए चुना। यह स्थान राजस्थान के पुष्कर शहर में था। यज्ञ के दिन, ब्रह्मा जी अपनी पत्नी सावित्री के साथ यज्ञ स्थल पर पहुंचे। लेकिन, सावित्री को रास्ते में कुछ काम पड़ गया और वह देर से पहुंची। यज्ञ का शुभ मुहूर्त बीतता जा रहा था, लेकिन सावित्री का अभी भी कोई पता नहीं था।ब्रह्मा जी ने देखा कि यज्ञ का शुभ मुहूर्त बीत रहा है, इसलिए उन्होंने नंदिनी गाय के मुख से गायत्री को प्रकट किया और उनसे विवाह कर अपना यज्ञ शुभ समय पर शुरू किया। कुछ देर बाद सावित्री यज्ञ स्थल पर पहुंची और ब्रह्मा जी के बगल में किसी और स्त्री को देखकर क्रोधित हो गई। उसने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि इस पृथ्वी लोक में आपकी कहीं पूजा नहीं होगी।
पुष्कर: राजस्थान का धार्मिक और सांस्कृतिक गौरव
राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित पुष्कर एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल और पर्यटन स्थल है। यह अपनी पवित्र झील, ब्रह्मा मंदिर, गुलाब के फूलों और अन्य धार्मिक स्थलों के लिए जाना जाता है।
पवित्र झील और ब्रह्मा मंदिर
पुष्कर की पवित्र झील 52 घाटों से घिरी हुई है। यह झील हिंदू धर्म में बहुत पवित्र मानी जाती है। पुष्कर में स्थित ब्रह्मा मंदिर भी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण मंदिर है। यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है जो भगवान ब्रह्मा को समर्पित है।
पुष्कर मेला
पुष्कर हर साल अक्टूबर-नवंबर में लगने वाले पुष्कर मेले के लिए भी प्रसिद्ध है। इस मेले में पूरे देश से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।
ब्रह्मा मंदिर से जुड़ी लड़ाई
हिंदू धर्म के पद्म पुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी ने एक दैत्य, वज्रनाभ को देखा जो लोगों को परेशान कर रहा था। ब्रह्मा जी ने दैत्य को रोकने के लिए अपने हथियार, कमल के फूल से उसे हमला किया। कमल के फूल की चोट से दैत्य मारा गया। दैत्य के मरने के बाद, उसके शरीर से तीन बूंदें गिरीं। ब्रह्मा जी ने इन बूंदों को धरती पर गिरने दिया और उन्हें पुष्कर नाम दिया। पुष्कर का अर्थ है “फूल” और “कर” (हाथ)। इन तीन बूंदों से आज बूढ़ा पुष्कर, मंझला पुष्कर और छोटा पुष्कर नामक तीन झीलें बन गई हैं।
ब्रह्मा मंदिर से जुड़ा प्रेम
एक बार, ब्रह्मा जी ने एक यज्ञ किया। यज्ञ में, उन्होंने गायत्री को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। लेकिन, यज्ञ के बाद, ब्रह्मा जी ने गायत्री को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया। गायत्री को यह बहुत बुरा लगा। एक दिन, ब्रह्मा जी ने एक और यज्ञ किया। इस यज्ञ में, उन्होंने एक गायत्री नामक एक और स्त्री को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। गायत्री को यह देखकर बहुत गुस्सा आया। उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि उनकी पूजा पूरे भारत में कहीं भी नहीं होगी, बल्कि सिर्फ पुष्कर में होगी।गायत्री का श्राप सुनकर, ब्रह्मा जी बहुत दुखी हुए। उन्होंने गायत्री से माफी मांगी। गायत्री ने ब्रह्मा जी का श्राप कम करते हुए पुष्कर को तीर्थ राज की उपाधि दी। उन्होंने ब्रह्मा जी को वरदान दिया कि उनकी पूजा सिर्फ पुष्कर में ही होगी। उन्होंने अग्नि को पवित्रता का और पंडितों को हमेशा इज़्ज़त मिलने का वरदान भी दिया।आज, इस झरने के स्थान पर सावित्री देवी का मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा मंदिर में दर्शन करने के बाद अगर आपने सावित्री मंदिर में माथा नहीं टेका तो पुष्कर आने का कोई पुण्य आपको नहीं मिलेगा।
सावित्री देवी मंदिर, पुष्कर सावित्री देवी मंदिर, पुष्कर
मंदिर पास ही की एक पहाड़ी पर बना हुआ है जहाँ जाने के लिए आप रोपवे में बैठ सकते हैं। 120 रुपए में आपको आने और जाने की टिकट मिल जाएगी। अगर आप दर्शन ना भी करना चाहें तो रोपवे का अनुभव ही आपके लिए काफ़ी रोमांचक होगा। पुष्कर मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में हुआ था। यह मंदिर संगमरमर से बना है और इसमें चार मुखी ब्रह्मा जी की एक मूर्ति है। मूर्ति के चार मुख ज्ञान, कला, शक्ति और सृष्टि का प्रतिनिधित्व करते हैं। मंदिर के गर्भगृह में एक सुंदर नक्काशीदार चांदी का कछुआ भी है। यह कछुआ विभिन्न आगंतुकों द्वारा दान किए गए चांदी के सिक्कों से भरा हुआ है। पुष्कर में ब्रह्मा मंदिर के अलावा कई अन्य मंदिर भी हैं। इनमें वराह मंदिर, आप्टेश्वर मंदिर और सावित्री मंदिर शामिल हैं।
वराह मंदिर
वराह मंदिर विष्णु के अवतार वराह को समर्पित है। वराह भगवान विष्णु का एक अवतार है जो एक जंगली सूअर के रूप में अवतरित हुए थे।
आप्टेश्वर मंदिर
आप्टेश्वर मंदिर शिव को समर्पित एक भूमिगत मंदिर है। मंदिर में एक लिंगम है जो शिव का प्रतीक है।
सावित्री मंदिर
सावित्री मंदिर ब्रह्मा की पत्नी सावित्री को समर्पित है। सावित्री एक बहुत ही पतिव्रता पत्नी थीं।