हरिद्वार में स्थित माँ मनसा देवी का मंदिर
हरिद्वार में स्थित माँ मनसा देवी का मंदिर हिंदू धर्म के एक प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव की पुत्री और नागों की देवी मनसा देवी को समर्पित है। मन्सा देवी मंदिर का धार्मिक महत्त्व मन्सा देवी मंदिर हरिद्वार में स्थित एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यह मंदिर भगवान शिव की मानस पुत्री और नागराज वासुकी की बहन, मन्सा देवी को समर्पित है। मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण में भी आता है, जिसमें मन्सा देवी को दसवीं देवी माना गया है।
मनसा देवी मंदिर: अमृत की बूंदों से बने मंदिर की कहानी
मनसा देवी मंदिर उत्तराखंड के हरिद्वार शहर में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव की पुत्री और नागों की देवी मनसा देवी को समर्पित है। मंदिर का निर्माण वर्ष 1811 से 1815 के बीच राजा गोला सिंह ने कराया था। मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह उन चार स्थानों में से एक है, जहाँ समुद्र मंथन के बाद निकली अमृत की कुछ बूंदें गिरी थीं। बाद में इस स्थान पर माता के मंदिर का निर्माण किया गया था।
मंदिर का इतिहास
स्कंदपुराण के अनुसार, एक बार जब महिषासुर नाम के राक्षस ने देवताओं को पराजित कर दिया, तब देवताओं ने देवी का स्मरण किया। देवी ने प्रकट होकर महिषासुर का वध कर दिया। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी बताते हैं, देवी ने हरिद्वार के शिवालिक मालाओं के मुख्य शिखर के पास विश्राम किया और इसीलिए यहाँ मनसा देवी मंदिर की स्थापना हुई। कालांतर में यहाँ मंदिर बना और माँ मनसा देवी की मूर्ति स्थापित की गई। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना भगवान शिव ने की थी। एक बार, एक राजा के पुत्र को सांप ने डस लिया था। राजा ने भगवान शिव से अपने पुत्र को बचाने की प्रार्थना की। भगवान शिव ने मनसा देवी को राजा के पुत्र को बचाने के लिए भेजा। मनसा देवी ने सांप को वश में कर लिया और राजा के पुत्र को बचा लिया। इस घटना के बाद, राजा ने मनसा देवी के मंदिर का निर्माण किया।
मंदिर का निर्माण राजा गोला सिंह ने सन 1811 से 1815 के बीच किया था। यह मंदिर उन चार स्थानों में से एक है, जहाँ समुद्र मंथन के बाद निकले अमृत की कुछ बूंदें गलती से यहाँ पर गिर गईं थीं। बाद में इस स्थान पर माता के मंदिर का निर्माण किया गया था। मंदिर में माँ की दो मूर्तियाँ स्थापित की गयी हैं। एक प्रतिमा में उनके तीन मुख और पांच भुजाएँ हैं। दूसरे में आठ भुजाएँ हैं। माँ कमल और सर्प पर विराजित हैं। मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह उन चार स्थानों में से एक है, जहाँ समुद्र मंथन के बाद निकले अमृत की कुछ बूंदें गिरी थीं। बाद में इस स्थान पर माता के मंदिर का निर्माण किया गया था।
मंदिर का महत्त्व
माना जाता है कि मनसा देवी की पूजा करने से सभी कष्ट और पीड़ाएँ दूर हो जाती हैं। माँ मनसा देवी को सांपों और विष के देवता माना जाता है। इसलिए, लोग अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए मनसा देवी की पूजा करते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि मनसा देवी के मंदिर में धागा बाँधने से हर मनोकामना पूरी होती है। यह मंदिर भगवान शिव की मानस पुत्री और नागराज वासुकी की बहन, मन्सा देवी को समर्पित है। मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण में भी आता है, जिसमें मन्सा देवी को दसवीं देवी माना गया है।
मंदिर की विशेषताएँ
मनसा देवी मंदिर बिल्व पर्वत की चोटी पर स्थित है। मंदिर तक पहुँचने के लिए 761 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर में मनसा देवी की एक भव्य प्रतिमा है। मंदिर के पास एक झील भी है, जिसे मनसा सरोवर कहा जाता है। माँ मनसा देवी का मंदिर हरिद्वार में बिल्व पर्वत की चोटी पर स्थित है। मंदिर तक पहुँचने के लिए 761 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर में मनसा देवी की एक भव्य प्रतिमा है। मंदिर के पास एक झील भी है, जिसे मनसा सरोवर कहा जाता है।
धागा बाँधने की विधि
मान्यता है कि मनसा देवी के मंदिर में धागा बाँधने से हर मनोकामना पूरी होती है। धागा बाँधने के लिए सबसे पहले मंदिर में जाकर माँ मनसा देवी की पूजा करें। फिर, एक लाल रंग का धागा लें और इसे अपने हाथ में बाँध लें। धागे को बाँधते समय मन में अपनी मनोकामना रखें। धागा बाँधने के बाद, मंदिर में प्रसाद चढ़ाएँ और धन्यवाद दें।
मनसा देवी मंदिर की यात्रा
मनसा देवी मंदिर हरिद्वार के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यह मंदिर साल भर भक्तों की भीड़ से भरा रहता है। मंदिर में जाने के लिए सबसे अच्छा समय सुबह या शाम का होता है। मंदिर तक पहुँचने के लिए हरिद्वार से टैक्सी या बस ले सकते हैं।
हरिद्वार से मनसा देवी मंदिर कैसे पहुँचे
हरिद्वार शहर के अपर रोड के समीप स्थित माँ मनसा देवी मंदिर एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर हरिद्वार से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और माँ मनसा देवी, नागों की देवी को समर्पित है। मंदिर तक पहुँचने के लिए कई तरह के विकल्प उपलब्ध हैं।
हवाई मार्ग से
देहरादून स्थित जौलीग्रांट हवाई अड्डे से टैक्सी या बस के माध्यम से माँ मनसा देवी मंदिर पहुँचा जा सकता है। हवाई अड्डे से मंदिर की दूरी करीब 41 किमी है।
रेल मार्ग से
हरिद्वार रेलवे स्टेशन से रिक्शा, तांगा, आटो, टैक्सी आदि से मंदिर पहुँच सकते हैं। रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी करीब तीन किमी है।
सड़क मार्ग से
किसी भी शहर से परिवहन निगम की बस, निजी बस, टैक्सी या खुद के वाहन से मंदिर पहुँचा जा सकता है। मंदिर तक पहुँचने के लिए अपर रोड से उड़न खटोला सेवा भी उपलब्ध है।
उड़न खटोला सेवा
मंदिर तक पहुँचने का सबसे आसान तरीका उड़न खटोला सेवा है। यह सेवा मंदिर के तल से शुरू होती है और सीधे मंदिर के ऊपर स्थित मंच तक जाती है। उड़न खटोले में सवार होने के लिए टिकट काउंटर से टिकट खरीदना होता है।
पैदल मार्ग से
मंदिर तक पहुँचने का सबसे श्रद्धालु तरीका पैदल मार्ग है। मंदिर तक जाने के लिए करीब 2, 000 सीढ़ियाँ चढ़नी होती हैं। सीढ़ियों के रास्ते में कई छोटे-छोटे मंदिर और गुफाएँ भी हैं।