आज ऑफिस में एक मित्र से बात हो रही थी.
तो, बात चलते चलते संजय सिंह और मनीष सिसोदिया आदि पर आ गई.
इस पर मेरे मित्र ने संदेह व्यक्त करते हुए कहा कि…. अरे यार, कोई एक दो आदमी बेईमान हो तो समझ में आता है.
लेकिन, सब के सब कैसे बेईमान होंगे यार ?
सहिये में कहीं कोई झोल तो नहीं है.
उसकी बात से मुझे हंसी आ गई और मैंने उसे कहा कि… अरे, इसमें जाँच-फाँच की कहीं कोई जरूरत ही नहीं है.
क्योंकि, ये तो सामान्य रूप से भी समझ आ रहा है कि सबने बेईमानी की होगी.
कारण ये है कि… जितने भी लोग उस पार्टी में थे… उसमें से अधिकांश लोग गैर राजनीतिक लोग थे.
और, कोई कोई तो बिल्कुल सामान्य लोग ही थे.
जिन्होंने सत्ता में आने से पहले न तो पैसा देखा था और न पावर.
इसीलिए, सत्ता में आने से पहले वे सुविचार वाला उपदेश देते थे.
लेकिन, सत्ता में आने के बाद उन्हें महसूस हुआ कि अब हमलोगों को अपने लोगों को फायदा पहुँचाना चाहिए ताकि उनके लोग ज्यादा समय तक उनके साथ रहें.
साथ ही साथ… इन्होंने विभिन्न राज्यों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने हेतु चुनाव लड़ा.
और, दुनिया में फिरी-फोकट का भला क्या होता है ?
लेकिन, कल की जन्मी और आधे अधूरे राज्य की सत्ताधारी पार्टी को भला कौन बिजनेसमैन चंदा देने जा रहा है जो कि बिना उपराज्यपाल की आज्ञा के नियम तक नहीं बना सकता ???
इसीलिए, उन्होंने पार्टियों से डिसकस कर अथवा अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित कर… वर्तमान नियम में ही इधर उधर का बदलाव कर उसे इस तरह से मोल्ड किया कि उसके लोगों को फायदा हो…
और, फिर इन्होंने इस फायदे में से अपना हिस्सा ले लिया और विभिन्न चुनावों एवं अय्याशियों में खर्च कर दिया.
अब चूँकि… इस तरह के मामले में बहुत से लोग लगते हैं…. जैसे कि… उस व्यवसायी एवं पार्टी/सरकारी तंत्र से घनिष्ट संबंध वाला जो उनदोनों को मिलवाता है.
फिर, नियम बदलने वाला.
पार्टी से पैसे वसूलने वाला.
उस वसूले पैसे को खर्च करने वाला. आदि आदि.
इसीलिए, इस केस में ढेर सारे लोग अंदर जा रहे हैं.
और, आशा है कि… क्लाइमेक्स आते आते खुजलीवाल भी अंदर चला जाए…
क्योंकि, सारे पैसे इसी के कहने अथवा आइडिया पर वसूले एवं खर्च किये गए होंगे..
कारण कि… पार्टी एवं सरकार का मुखिया तो वही है.
मेरी बात पूरी होने पर मित्र मुझसे पूरी तरह सहमत नजर आने लगा और अंत में कहा कि…. तुम्हारी बात तो लॉजिकल है.
और, इस हिसाब से तो सारे के सारे के लोग अंदर जायेंगे.
इस पर मैंने हंसते हुए कहा कि… अरे, मैं भी तो तुम्हें यही बता रहा हूँ कि ये संजू सांड न तो प्रथम है और न अंतिम.
अभी जैसे जैसे जांच आगे बढ़ती जाएगी…. बारी बारी से सब लोग अंदर होते जाएंगे…!
[कुमार सतीश जी के फेसबुकिया व्यंग्य]
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