कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म का एक महत्त्वपूर्ण त्यौहार है, जिसे कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह दिन भगवान शिव की त्रिपुरासुर पर विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इसलिए, इसे त्रिपुरा पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस त्यौहार को देश में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे त्रिपुरा पूर्णिमा, गंगा स्नान, देव दीपावली आदि
कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व
कार्तिक पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्त्व है। इस दिन को निम्नलिखित कारणों से महत्त्वपूर्ण माना जाता है:
- भगवान शिव की त्रिपुरासुर पर विजय: कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध कर उसका संहार किया था। यह भगवान शिव की शक्ति और कृपा का प्रतीक है।
- मांगलिक कार्यों की शुरुआत: कार्तिक पूर्णिमा के बाद सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। इस दिन से विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि जैसे शुभ कार्यों को शुरू किया जा सकता है।
- तुलसी विवाह: कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी विवाह भी किया जाता है। यह भगवान विष्णु और तुलसी जी के विवाह का प्रतीक है।
- सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक: कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यह दिन इस बात को दर्शाता है कि हिंदू धर्म में विभिन्न तरह की मान्यताएँ और परंपराएँ प्रचलित हैं।
कार्तिक पूर्णिमा का व्रत
कार्तिक पूर्णिमा का व्रत करने से कई लाभ होते हैं। इस व्रत को करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है, उसके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है और वह सभी मनोकामनाओं की प्राप्ति करता है।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व
इस दिन को वैष्णव, शिव और सिख धर्म के लोग बड़े ही उत्साह और धूमधाम से मनाते हैं।
वैष्णव धर्म में कार्तिक पूर्णिमा : वैष्णव धर्म में कार्तिक पूर्णिमा को भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार के जन्म के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर सृष्टि की रक्षा की थी। इसलिए, इस दिन को भगवान विष्णु के भक्त व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं।
शैव धर्म में कार्तिक पूर्णिमा : शिव धर्म में कार्तिक पूर्णिमा को भगवान शिव की त्रिपुरासुर पर विजय के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए, इस दिन को भगवान शिव के भक्त व्रत रखते हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं।
सिख धर्म में कार्तिक पूर्णिमा :सिख धर्म में कार्तिक पूर्णिमा को गुरु नानक देव जी के जन्म के रूप में मनाया जाता है। गुरु नानक देव जी सिख धर्म के प्रथम गुरु थे। इसलिए, इस दिन को सिख धर्म के अनुयायी व्रत रखते हैं और गुरुद्वारों में जाते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा के अन्य महत्त्व
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, दीपदान, क्षीरसागर दान आदि का विशेष महत्त्व है। गंगा स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। दीपदान करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। क्षीरसागर दान करने से पुत्र प्राप्ति होती है।
कार्तिक पूर्णिमा की कुछ मान्यताएँ
कार्तिक पूर्णिमा के दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्मों तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। इस दिन, जब चंद्रमा आकाश में उग रहा हो, इन छह कृतिकाओं-शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा-की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। कार्तिक पूर्णिमा एक ऐसा त्यौहार है जिसे सभी धर्मों के लोग बड़े ही उत्साह और धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन को मनाने से अनेक लाभ होते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान का लाभ
मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
- पापों से मुक्ति मिलती है।
- शरीर के रोग दूर होते हैं।
- ऐश्वर्य और सुख प्राप्त होते हैं।
- यदि गंगा स्नान के बाद दीपदान किया जाए तो दस यज्ञों का फल मिलता है। गंगा स्नान भरणी नक्षत्र में किया जाए तो व्यक्ति को अत्यधिक ऐश्वर्य और सुख प्राप्त होते हैं। इस दिन गंगा स्नान के साथ-साथ व्रत रखना भी शुभ माना जाता है।
- इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान भी प्राप्त होता है और विवेक में वृद्धि होती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान करना एक पवित्र और लाभकारी कार्य है। इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं
कार्तिक पूर्णिमा के अनुष्ठान
गंगा स्नान :कार्तिक पूर्णिमा के दिन, गंगा स्नान करना सबसे महत्त्वपूर्ण अनुष्ठान है। यह माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगा स्नान करने के लिए लोग गंगा नदी, या किसी अन्य पवित्र नदी या समुद्र में जाते हैं।
भगवान विष्णु की पूजा :कार्तिक पूर्णिमा को भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। इस दिन लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। पूजा में फूल, दीपक, अगरबत्ती और अन्य प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। भगवान विष्णु की कथाओं का पाठ भी किया जाता है।
सत्यनारायण व्रत: कथा कार्तिक पूर्णिमा को सत्यनारायण व्रत कथा सुनने का भी दिन माना जाता है। यह व्रत कथा भगवान विष्णु की एक कथा है। इस कथा को सुनने से व्यक्ति को सभी मनोकामनाओं की प्राप्ति होती है।
पुष्कर मेला :कार्तिक पूर्णिमा भगवान विष्णु और देवी वृंदा के विवाह समारोह का भी प्रतीक है और इस उत्सव को मनाने के लिए, कार्तिक पूर्णिमा मेले का आयोजन पुष्कर में किया जाता है, जिसे कार्तिक माह के दौरान पुष्कर मेले के रूप में जाना जाता है। मेले में लोग गंगा स्नान करते हैं, भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और खरीदारी करते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
कार्तिक पूर्णिमा की तिथि: 27 नवंबर, 2023
पूर्णिमा तिथि शुरू: 26 नवंबर, 2023 दोपहर 15: 53
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 27 नवंबर, 2023 को दोपहर 14: 45 तक