गोवर्धन पूजा क्यों मनाया जाता है
हिन्दू धर्म में व्रत और पूजा का महत्व बहुत ऊंचा है। व्रतों और पूजाओं के माध्यम से हम अपनी भक्ति और आस्था को प्रकट करते हैं और भगवान के प्रति समर्पण दिखाते हैं। गोवर्धन पूजा भी इसी धार्मिक मान्यताओं का हिस्सा है और यह हर साल कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है। इस लेख में, हम जानेंगे कि गोवर्धन पूजा क्यों महत्वपूर्ण है और क्या है इसका महत्व.
गोवर्धन पूजा का महत्व:
गोवर्धन पूजा का महत्व पुराणों में मिलता है, और यह कई कारणों से महत्वपूर्ण मानी जाती है। प्रमुख कारणों में से कुछ निम्नलिखित हैं:
- कृष्ण भगवान के लीला का हिस्सा: गोवर्धन पूजा का महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि यह कृष्ण भगवान के जीवन की महत्वपूर्ण घटना का स्मरण करती है। इस पूजा के बारे में भगवान कृष्ण के गोकुल के ग्रामीण लोग अपने गौओं को पूजन करते थे और गोवर्धन पर्वत की पूजा करते थे।
- प्राकृतिक संरक्षण का संकेत: गोवर्धन पूजा एक प्राकृतिक संरक्षण के संकेत के रूप में भी महत्वपूर्ण है। इस पर्व के दौरान, गौ माता की पूजा की जाती है, जिससे गायों के संरक्षण की जागरूकता बढ़ती है।
- समृद्धि और आशीर्वाद का प्रतीक: गोवर्धन पूजा का आयोजन लोगों के लिए समृद्धि और आशीर्वाद के रूप में भी किया जाता है। गौ माता के पूजन से लोग धन, स्वास्थ्य, और सुख-शांति की प्राप्ति की कामना करते हैं।
गोवर्धन पूजा की कथा:
गोवर्धन पूजा की कथा प्राचीन हिन्दू पुराणों में मिलती है। इसके अनुसार, एक बार गोकुल के लोगों ने भगवान कृष्ण से सलाह ली कि वे गोवर्धन पर्वत की पूजा करें। कृष्ण भगवान ने इस पर सहमति दी और गोवर्धन पर्वत को अपने हाथों में उठाकर एक छत्र की तरह रख दिया। इससे गोकुल के लोगों को वैराग्य और भगवान के प्रति अधिक भक्ति की प्राप्ति हुई। इस पूजा को गोवर्धन पूजा के रूप में मनाने लगे और इसे वर्षान्त की प्राकृतिक आपत्तियों से बचाने का माध्यम भी माना गया।
गोवर्धन पूजा कैसे मनाई जाती है:
गोवर्धन पूजा क दिन लोग अपनी गौ माता की पूजा करते हैं और गौशाला को सजाते हैं। गौशाला में रखे गायों को विशेष धूप, दीप, फूल, और प्रसाद के साथ पूजते हैं। इसके बाद, लोग अपने घरों की दीवारों पर गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाते हैं और उसे चावल, दलिया, से सजाते हैं। इस दिन लोग गायों के साथ कार्तिक मास के पूर्णिमा तक उपवास भी करते हैं और गौ माता के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण प्रकट करते हैं। गोवर्धन पूजा के दिन लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर खास भोजन भी करते हैं और एक-दूसरे को आशीर्वाद देते हैं।
गोवर्धन पूजा हमें हमारे प्राचीन धार्मिक मूलों को याद दिलाने और प्राकृतिक संरक्षण के महत्व को समझाने का मौका प्रदान करती है। इसके साथ ही, यह हमें सामाजिक मिलनसर आदर्शों को अपनाने की भी प्रेरणा देती है। इस पूजा के माध्यम से हम अपने परिवार और समुदाय के साथ एकत्र आकर्षित होते हैं और भगवान के प्रति अपनी भक्ति को प्रकट करते हैं।
गोवर्धन पूजा: भक्ति और परंपरा का महत्वपूर्ण त्योहार
भारतीय संस्कृति में त्योहारों का खास महत्व है, और इन त्योहारों के माध्यम से हम अपने धार्मिक और सांस्कृतिक अंशों को जीवंत रूप से दिखाते हैं। एक ऐसा ही महत्वपूर्ण त्योहार है “गोवर्धन पूजा,” जिसे हिन्दू धर्म में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा का महत्व:
गोवर्धन पूजा को हिन्दू परंपरा में भगवान कृष्ण के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। यह पर्व कार्तिकमहीने के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है, जिसे गोवर्धन पूजा के रूप में जाना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर अपने साथीगण और गोपियों के साथ छाया बनाई थी.
गोवर्धन पूजा का अर्थ है गौ माता की पूजा, और इस दिन गौ माता की पूजा बड़े धूमधाम से की जाती है। लोग अपने गौवंश को सुखद और स्वस्थ रखने के लिए पूजा करते हैं और उन्हें सामग्री और भोजन के रूप में दान देते हैं।
गोवर्धन पूजा की प्रक्रिया:
गोवर्धन पूजा की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार होती है:
- गौ माता की पूजा: पूजा की शुरुआत गौ माता की पूजा से होती है, जिसमें गौवंश को सजाकर दिया जाता है। गौ माता को विशेष रूप से स्नान, चावल, फूल, और दूप दीपक से पूजा जाता है।
- गोवर्धन पूजा: फिर गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा बनाई जाती है और उसका पूजन किया जाता है। पर्वत की पूजा के बाद, लोग पर्वत को छाता बनाकर चादर से ढक देते हैं जिसे “गोवर्धन प्रदक्षिणा” कहते हैं।
- दान का महत्व: गोवर्धन पूजा के दिन दान करने का विशेष महत्व होता है। लोग गौवंश, अन्न, और अन्य जरूरतमंदों को दान करते हैं।
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा का महत्व यह दिखाता है कि हमें प्रकृति और पशुपक्षियों के प्रति सहानुभूति और संरक्षण की दिशा में अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। इस त्योहार के माध्यम से हम गौ माता के महत्व को समझते हैं और उनके प्रति आदर और समर्पण दिखाते हैं।
गोवर्धन पूजा हमारी परंपरा का हिस्सा है और इसके माध्यम से हम अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को महत्वपूर्ण बनाते हैं। इस त्योहार के द्वारा हम समर्पण और सेवा की भावना को सीखते हैं और अपने समाज में सामाजिक सद्भावना और एकता को बढ़ावा देते हैं।
गोवर्धन पूजा एक खास अवसर है जब हम अपने परंपरागत मूल्यों को निभाने का मौका पाते हैं और भगवान कृष्ण के द्वारा किए गए महान कर्म का स्मरण करते हैं। यह हमें धर्म, सेवा, और समर्पण की महत्वपूर्ण शिक्षा देता है और हमारे समाज को सामृद्धि और समृद्धि की दिशा में अग्रसर करता है।
इस गोवर्धन पूजा पर, हम सभी को गौ माता के प्रति आदर और समर्पण के साथ इस अद्भुत त्योहार का आनंद उठाने का मौका मिलता है। यह त्योहार हमारे जीवन में खुशियों की बौछार लेकर आता है और हमें हमारी परंपराओं का महत्व समझाने का अवसर प्रदान करता है।
गोवर्धन पूजा का त्योहार हमारे जीवन में धार्मिकता और सांस्कृतिकता की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और हमें गौ माता और प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का आदर करने का संदेश देता है। इसे मनाकर हम अपने समाज में समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
गोवर्धन पूजा 2023 तिथि
गोवर्धन पूजा हिंदूुओ का त्यौहार है जो दिवाली के दूसरे दिन कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष मनाया जाता है दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। गोवर्धन पूजा दिवाली के एक दिन बाद मनाई जाती है, कभी-कभी दिवाली और गोवर्धन पूजा के बीच एक दिन का अंतर होता है। जिसे ‘एकम’ कहा जाता है। इस दिन गायों की पूजा की जाती है गायों को देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है, गोवर्धन पूजा मुख्य रूप से गयो के प्रत्ति समान और आस्था दिखने के लिए मनाई जाती है यह एक ऐसा त्यौहार है जिसमे भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। ब्रजवासियों ने गोवर्धन पूजा की शुरआत की
गोवर्धन पूजा कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार इंद्र देव ने गोकुलवासियों को दिखावा दिखाने के लिए सात दिन तक लगातार बारिश की। गोकुलवासी इंद्र से बचने के लिए भगवान श्रीकृष्ण की शरण में गए। भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों को गोवर्धन पर्वत के नीचे छुपने के लिए कहा। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया और गोकुलवासियों को सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत के नीचे छुपाकर रखा। सात दिन बाद इंद्र देव को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रख दिया और गोकुलवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया। तभी से लोग श्रद्धापूर्वक गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे और भगवान कृष्ण को ‘गोवर्धनधारी’ या ‘गिरिरधारी’ का नाम भी दिया गया।
अन्नकूट पूजा एवं छप्पन भोग
गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग का भोग लगाया जाता है। छप्पन भोग में सभी प्रकार के व्यंजन शामिल होते हैं, जिनमें मिठाई, फल, सब्जियां, दाल, चावल, रोटी आदि शामिल होते हैं। छप्पन भोग का प्रसाद सभी को बांटा जाता है। इन पकवानों को ‘अन्नकूट’ कहा जाता है।
‘अन्नकूट’ शब्द का अर्थ है ‘भोजन का पर्वत’। इसलिए गोवर्धन पूजा के दिन भक्त भगवान कृष्ण को ‘भोग’ के रूप में चढ़ाने के लिए 108 या 56 प्रकार के भोजन तैयार करते हैं, भोग लगते है भारत के कुछ राज्यों में, दिवाली के ठीक बाद का दिन ‘कार्तिक शुद्ध पड़वा’ के रूप में मनाया जाता है। यह दिन राजा बलि की वापसी का जश्न मनाता है और इसे ‘बाली पद्यामी’ भी कहा जाता है।
महाराष्ट्र और कुछ पश्चिमी राज्यों में गोवर्धन पूजा को ‘गुड़ी पड़वा’ के रूप में मनाया जाता है। इस पर पत्नी अपने पति को माला पहनाती हैं, उनके माथे पर ‘तिलक’ लगाती हैं और उनके लंबे और समृद्ध जीवन के लिए आरती करती हैं। गोवर्धन पूजा पूरे भारत में अत्यधिक उत्साह के साथ मनाई जाती है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है।
वर्तमान वर्ष में गोवर्धन पूजा की तिथि
2023 में, गोवर्धन पूजा का त्योहार 14 नवंबर, को मनाया जाएगा।