भोपाल की नरेला विधानसभा सीट पर भाजपा के विश्वास सारंग और कांग्रेस के मनोज शुक्ला के बीच कड़ा मुकाबला है। विश्वास सारंग वर्तमान विधायक और चिकित्सा शिक्षा मंत्री हैं, जबकि मनोज शुक्ला पहली बार चुनावी मैदान में उतरे हैं।
चुनाव प्रचार के दौरान सारंग ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि मनोज शुक्ला एक आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं और उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। सारंग का दावा है कि नरेला में भाजपा का मजबूत आधार है और कांग्रेस कोई चुनौती पेश नहीं कर सकती।
मनोज शुक्ला ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनके खिलाफ दर्ज सभी मामले झूठे हैं। उन्होंने खुद को ईमानदार और मेहनती बताते हुए कहा कि वह नरेला के लोगों के हित में काम करेंगे।
राजनीतिक विश्लेषण:
विश्वास सारंग के बयान को चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है। इससे एक ओर कांग्रेस उम्मीदवार की छवि को नुकसान पहुंचाने और भाजपा के वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश झलकती है।
दूसरी ओर, यह बयान नरेला विधानसभा सीट पर भाजपा की संभावित चिंताओं को भी दर्शाता है। सारंग संभवतः कांग्रेस उम्मीदवार की बढ़ती लोकप्रियता को लेकर सतर्क हैं और इसीलिए उनके खिलाफ आपराधिक छवि का प्रचार कर रहे हैं।
इसके अलावा, यह बयान मध्य प्रदेश की राजनीति में बढ़ती कटुता की ओर भी इशारा करता है, जहां दोनों प्रमुख दल एक-दूसरे पर आरोप लगाने में पीछे नहीं हैं।
विश्वास सारंग की चुनावी रणनीति:
नरेला विधानसभा सीट पर चौथी बार चुनाव लड़ रहे विश्वास सारंग ने नवभारत टाइम्स के साथ बातचीत में अपनी उपलब्धियों को प्रमुखता से गिनाया। उन्होंने कहा कि उन्होंने क्षेत्र में विकास कार्यों जैसे पुल और ओवरब्रिज का निर्माण कराया है और नरेला को एक परिवार की तरह समझा है।
राम मंदिर का मुद्दा उनकी चुनावी रणनीति का एक बड़ा हिस्सा है। उनका कहना है कि कांग्रेस ने हमेशा सनातन संस्कृति का विरोध किया है, जिससे यह मुद्दा चर्चा में बना हुआ है।
लाड़ली बहना योजना का भी नरेला में बड़ा प्रभाव है। सारंग का दावा है कि इस योजना से महिलाओं का समर्थन भाजपा को मिल रहा है।
कांग्रेस उम्मीदवार की चुनौती:
मनोज शुक्ला ने भी विकास के एजेंडे को प्राथमिकता देते हुए नरेला को नई दिशा देने का वादा किया है। उनका कहना है कि भाजपा के आरोप आधारहीन हैं और वे क्षेत्र के विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।