मध्य प्रदेश में कांग्रेस की ओबीसी रणनीति: जातिगत जनगणना और नेताओं पर दांव
मध्य प्रदेश में 2023 विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस ने ओबीसी मतदाताओं को साधने के लिए दो प्रमुख रणनीतियां अपनाई हैं। पहली रणनीति है जातिगत जनगणना कराना और दूसरी रणनीति है ओबीसी नेताओं को चुनावी मैदान में सक्रिय करना। मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं और सरकार बनाने के लिए 116 स्थान पर जीत जरूरी है। कांग्रेस बहुमत हासिल करने के लिए सबसे बड़ी आबादी ओबीसी को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इसके लिए कांग्रेस ने दो प्रमुख रणनीतियां अपनाई हैं।
जातिगत जनगणना का दांव
कांग्रेस का मानना है कि मध्य प्रदेश की आबादी का लगभग 50% हिस्सा ओबीसी वर्ग का है। अगर कांग्रेस इन वोटरों को अपने पक्ष में कर सकती है, तो उसे चुनाव में जीत मिलने की संभावना बढ़ जाएगी। इसीलिए, कांग्रेस ने जातिगत जनगणना कराने का वादा किया है। कांग्रेस का मानना है कि जातिगत जनगणना से ओबीसी वर्ग के लोगों को उनके अधिकारों के लिए लड़ने में मदद मिलेगी।
ओबीसी नेताओं पर दांव
कांग्रेस ने ओबीसी नेताओं को टिकटों के आवंटन में भी प्राथमिकता दी है। कांग्रेस ने अपने पहले चरण के उम्मीदवारों में से 27% ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इसके अलावा, कांग्रेस ने ओबीसी नेताओं को चुनाव प्रचार में भी महत्वपूर्ण भूमिका दी है। कांग्रेस के सभी बड़े नेता ओबीसी क्षेत्रों में जाकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
कांग्रेस की इस रणनीति का भाजपा भी जवाब दे रही है। भाजपा ने भी ओबीसी नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा है। भाजपा का मानना है कि ओबीसी वोटरों का रुझान भाजपा के पक्ष में रहेगा।
रणनीति का असर
कांग्रेस की इस रणनीति का असर कितना होता है, यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा। लेकिन, यह स्पष्ट है कि कांग्रेस ओबीसी वोटरों को साधने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
पहली रणनीति: ओबीसी नेताओं को टिकटों के आवंटन में प्राथमिकता देना
कांग्रेस ने अपने पहले चरण के उम्मीदवारों में से 27% ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इस तरह, कांग्रेस ने कुल 64 ओबीसी उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है। यह संख्या राज्य की कुल ओबीसी आबादी के अनुपात में काफी अधिक है।
दूसरी रणनीति: ओबीसी नेताओं को चुनाव प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका देना
कांग्रेस ने ओबीसी नेताओं को चुनाव प्रचार में भी महत्वपूर्ण भूमिका दी है। कांग्रेस के सभी बड़े नेता ओबीसी क्षेत्रों में जाकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इसके अलावा, कांग्रेस ने ओबीसी नेताओं को भी चुनाव प्रचार में लगाया है।
इन दोनों रणनीतियों के तहत, कांग्रेस ओबीसी वोटरों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस का मानना है कि अगर वह ओबीसी वोटरों को अपने पक्ष में कर लेती है, तो उसे चुनाव में जीत मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
ओबीसी वोटरों का महत्व
मध्य प्रदेश की आबादी का लगभग 50% हिस्सा ओबीसी वर्ग का है। यह वर्ग राज्य की राजनीति में भी निर्णायक भूमिका निभाता है। विंध्य और बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में ओबीसी वोटरों का प्रभाव सबसे अधिक है। इन क्षेत्रों में चुनाव परिणाम सीधे तौर पर ओबीसी वोटरों पर निर्भर करता है।
कांग्रेस की उम्मीद
कांग्रेस का मानना है कि अगर वह ओबीसी वोटरों को अपने पक्ष में कर लेती है, तो उसे विंध्य और बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में जीत मिलने की संभावना बढ़ जाएगी। इससे उसे कुल सीटों पर जीत हासिल करने में मदद मिलेगी।