‘चौरासी’ के चक्कर में कांग्रेस ! डूंगरपुर में सियासी डांडिया खेलने की तैयार में बागी महेंद्र बरजोड़ और देवराम रोत
राजस्थान के डूंगरपुर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए बागी उम्मीदवारों से चिंता बढ़ गई है। कांग्रेस ने कई नेताओं को टिकट दिया, लेकिन कुछ नेताओं ने नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। इनमें चौरासी विधानसभा से पीसीसी महासचिव महेंद्र बरजोड़ और बिछीवाड़ा विधानसभा से प्रधान देवराम रोत शामिल हैं।
कांग्रेस का मानना है कि इन दोनों बागी उम्मीदवारों की लोकप्रियता काफी है। अगर ये दोनों चुनावी मैदान में रहते हैं, तो वे कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिए चुनौती पेश कर सकते हैं। इससे कांग्रेस को चुनाव जीतने में मुश्किल हो सकती है।
इसलिए, कांग्रेस ने इन बागी उम्मीदवारों को मनाने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भेजा है। लेकिन, वे अभी तक कोई सफलता नहीं हासिल कर पाए हैं।
दोनों कांग्रेसी नेताओं की उम्मीदवारी से पार्टी को नुकसान की आशंका
नाथद्वारा, 9 नवंबर, 2023 (आईएएनएस)। कांग्रेस पार्टी के दो नेताओं, महेंद्र बरजोड़ और देवाराम रोत, ने विधानसभा चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया है। इससे पार्टी नेतृत्व को चिंता सताने लगी है कि इससे पार्टी को नुकसान हो सकता है।
कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने दोनों नेताओं से समझाइश करने और उन्हें पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने के लिए मनाने का प्रयास किया। लेकिन महेंद्र बरजोड़ तो समझाइश के बाद भी नहीं माने। इसी तरह बिछीवाड़ा विधानसभा से देवाराम रोत से मुलाकात नहीं हो पाई।
महेंद्र बरजोड़ कांग्रेस के प्रदेश महासचिव हैं। ऐसे में उनका चौरासी विधानसभा क्षेत्र में काफी प्रभाव है। इसी तरह बिछीवाड़ा विधानसभा सीट पर प्रधान देवराम रोत भी अपना अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं। ऐसे में कांग्रेस की नींदें उड़ी हुई हैं कि यदि दोनों बागी उम्मीदवार नहीं माने तो यह पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि महेंद्र बरजोड़ और देवाराम रोत दोनों ही पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। उनका पार्टी के प्रति समर्पण भी है। लेकिन किसी कारणवश वे पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। इससे पार्टी को नुकसान हो सकता है।
उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व दोनों नेताओं से लगातार संपर्क में है। उन्हें समझाने का प्रयास किया जा रहा है। उम्मीद है कि वे पार्टी के लिए चुनाव लड़ेंगे।
यदि दोनों नेताओं ने पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव नहीं लड़ा तो इससे कांग्रेस को चौरासी और बिछीवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में नुकसान हो सकता है। इन दोनों सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी के लिए जीतना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।