श्रीनाथ जी मंदिर
नाथ जी मंदिर, जिसे गोवर्धन नाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भारत के राजस्थान राज्य के नाथद्वारा शहर में स्थित एक प्रमुख हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है और इसे पुष्टिमार्गीय वैष्णव संप्रदाय का प्रधान पीठ माना जाता है।
मंदिर का निर्माण 1672 में गोस्वामी दामोदर दास बैरागी ने करवाया था। मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी शैली की है। मंदिर का मुख्य गर्भगृह भगवान कृष्ण की मूर्ति के साथ सजाया गया है। गर्भगृह के चारों ओर एक परिक्रमा पथ है। मंदिर के बाहरी परिसर में कई अन्य मंदिर भी हैं, जिनमें देवी राधा, गोपी और अन्य देवी-देवताओं के मंदिर शामिल हैं।
किंवदंती और इतिहास
श्रीनाथ जी की मूर्ति को स्वयं प्रकट कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मूर्ति गोवर्धन पहाड़ियों से प्रकट हुई थी। ऐतिहासिक रूप से, मूर्ति की पूजा सबसे पहले मथुरा में की जाती थी। 1672 में, मुगल शासक औरंगजेब द्वारा किए गए बर्बर विनाश से मूर्ति को बचाने के लिए, मूर्ति को रथ पर दक्षिण की ओर ले जाया गया। जब मूर्ति नाथद्वारा पहुँची, तो बैलगाड़ी के पहिये मिट्टी में धंस गए और मूर्ति को आगे नहीं ले जाया जा सका। साथ के पुजारियों ने महसूस किया कि यह भगवान का चुना हुआ स्थान था और उन्होंने वहाँ एक मंदिर का निर्माण किया।
श्रीनाथ जी मंदिर का निर्माण
श्रीनाथ जी मंदिर का निर्माण 1672 में गोस्वामी दामोदर दास बैरागी ने करवाया था। मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी शैली की है। मंदिर का मुख्य गर्भगृह भगवान कृष्ण की मूर्ति के साथ सजाया गया है। गर्भगृह के चारों ओर एक परिक्रमा पथ है। मंदिर के बाहरी परिसर में कई अन्य मंदिर भी हैं, जिनमें देवी राधा, गोपी और अन्य देवी-देवताओं के मंदिर शामिल हैं।
श्रीनाथ जी मंदिर का महत्त्व
श्रीनाथ जी मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थल है। मंदिर में भगवान कृष्ण की पूजा करने से मोक्ष प्राप्त करने की मान्यता है। मंदिर हर साल लाखों तीर्थयात्रियों और भक्तों को आकर्षित करता है।
श्रीनाथ जी मंदिर की मराठों द्वारा लूट
1802 में, मराठों ने नाथद्वारा पर चढ़ाई की और श्रीनाथ जी मंदिर पर हमला किया। मराठा प्रमुख होल्कर ने मंदिर की संपत्ति के 3 लाख रुपये लूट लिए और पैसे वसूलने के लिए उसने मंदिर के कई पुजारियों को गिरफ्तार किया। मुख्य पुजारी (गोसाईं) दामोदर दास बैरागी ने मराठों के और बुरे इरादे को महसूस करते हुए महाराणा को एक संदेश भेजा।महाराणा ने अपने कुछ रईसों को श्रीनाथ जी को मराठों से बचाने और देवता को मंदिर से बाहर निकालने के लिए भेजा। वे श्रीनाथ जी को अरावली की पहाड़ियों में एक सुरक्षित स्थान घसियार ले गए। कोठारिया प्रमुख विजय सिंह चौहान जैसे रईसों को श्रीनाथ जी की मूर्ति को बचाने के लिए मराठों से लड़ते हुए अपने आदमियों के साथ अपना जीवन देना पड़ा। श्रीनाथ जी नाथद्वारा वापस लाए जाने से पहले पांच साल तक घसियार में रहे।
इस बीच, मराठों ने नाथद्वारा शहर को लूट लिया और बीच में ही अजमेर के लिए रवाना हो गए। उन्होंने द्वारकाधीश मंदिर, कांकरोली से भी पैसे लूट लिए।
श्रीनाथ जी मंदिर तक पहुँचने का तरीका
श्रीनाथ जी मंदिर राजस्थान के राजसमंद जिले के नाथद्वारा शहर में स्थित है। यह उदयपुर से 50 किमी और डबोक एयरपोर्ट से 58 किमी। दूरी पर स्थित है।
उदयपुर से श्रीनाथ जी मंदिर तक कैसे पहुंचे
- कार या टैक्सी: उदयपुर से श्रीनाथ जी मंदिर की दूरी 50 किमी। है। यह रास्ता लगभग 1 घंटे में तय किया जा सकता है।
- बस: उदयपुर से नाथद्वारा के लिए नियमित बसें चलती हैं। यात्रा का समय लगभग 1.5 घंटे है।
- रेल: उदयपुर रेलवे स्टेशन से नाथद्वारा रेलवे स्टेशन की दूरी 65 किमी। है। यह रास्ता लगभग 2 घंटे में तय किया जा सकता है।