नई दिल्ली: चंद्रमा पर ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 11 नवंबर 2023 को चंद्रयान-4 मिशन की योजना का ऐलान किया। इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चंद्रयान-4 मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर गहन अनुसंधान करना और संसाधनों के उपयोग की संभावनाओं का पता लगाना है।
चंद्रयान-4 का फोकस:
इसरो ने बताया कि चंद्रयान-4 मिशन में एक रोवर और एक ऑर्बिटर के साथ एक स्थायी लैंडर भी शामिल होगा। यह लैंडर लंबे समय तक चंद्रमा की सतह पर काम करेगा और विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग करेगा। मिशन के जरिए चंद्रमा के अंदरूनी संरचना, पानी की संभावनाओं और खनिज संसाधनों की जांच की जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग:
इस मिशन में कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की भागीदारी की भी संभावना है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और रूस के रोस्कोस्मोस ने इसरो के साथ साझेदारी में रुचि दिखाई है। इसरो के अनुसार, चंद्रयान-4 मिशन भारत की अंतरिक्ष तकनीक को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा।
चंद्रयान-3 की उपलब्धियां:
इसरो ने चंद्रयान-3 की सफलता को भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए एक मील का पत्थर बताया। चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर अब तक के सबसे चुनौतीपूर्ण चंद्रमा अभियानों में से एक था, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की।
लॉन्च की संभावित तारीख:
चंद्रयान-4 मिशन को 2025 में लॉन्च करने की योजना है। हालांकि, इसरो ने कहा है कि मिशन की सटीक तारीख तकनीकी तैयारियों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर निर्भर करेगी।
इसरो के अध्यक्ष का बयान:
एस. सोमनाथ ने कहा, “चंद्रयान-3 की सफलता ने हमें चंद्रमा की गहराई से अध्ययन करने की प्रेरणा दी है। चंद्रयान-4 मिशन से न केवल भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं में वृद्धि होगी, बल्कि यह चंद्रमा पर मानव उपस्थिति के लिए भी एक कदम होगा।”