मोक्षदा एकादशी का हिंदू धर्म में अत्यंत महत्व है। यह व्रत मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस पावन दिन को मोक्ष प्राप्ति के लिए विशेष माना जाता है। “मोक्षदा” का अर्थ है—मोह का नाश करने वाली। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस एकादशी को “वैकुण्ठ एकादशी” भी कहा जाता है, क्योंकि इस व्रत के फलस्वरूप व्यक्ति को वैकुण्ठ धाम की प्राप्ति होती है।
मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के रणभूमि में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसीलिए इसे गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। भगवत गीता को हिंदू धर्म का सबसे पवित्र और प्रमुख ग्रंथ माना गया है। इसमें जीवन के हर पहलू—ज्ञान, कर्म, भक्ति और मोक्ष का मार्ग बताया गया है। गीता के उपदेश न केवल उस समय प्रासंगिक थे, बल्कि आज भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं।
भगवान कृष्ण ने अर्जुन को यह सिखाया कि जीवन में सुख-दुख, हार-जीत जैसे अनुभव आते-जाते रहते हैं, लेकिन मनुष्य को अपने धर्म और कर्तव्य का पालन करना चाहिए। गीता के उपदेशों को आत्मसात करने से जीवन में सफलता, सुख और शांति प्राप्त होती है।
मोक्षदा एकादशी का व्रत और पूजा विधि
- व्रत का महत्व: इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है। यह व्रत पितरों की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए भी उत्तम माना जाता है।
- पूजा विधि:
- प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु और भगवत गीता की पूजा करें।
- गीता का पाठ करें और उपदेशों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लें।
- रात्रि में जागरण करें और भजन-कीर्तन करें।
गीता जयंती के अवसर पर विशेष कार्यक्रम
गीता जयंती के दिन विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में गीता के श्लोकों का पाठ, उपदेशों का व्याख्यान और गीता पर आधारित अन्य गतिविधियां होती हैं। इनका उद्देश्य गीता के उपदेशों को जन-जन तक पहुँचाना है, ताकि लोग इसे अपने जीवन में आत्मसात कर सकें।
मोक्षदा एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा
ब्रह्माण्ड पुराण में मोक्षदा एकादशी की एक प्रसिद्ध कथा का उल्लेख मिलता है। कथा के अनुसार, चंपकनगर के एक दयालु राजा को स्वप्न में अपने पिता को नरक में कष्ट भोगते हुए देखा। परेशान होकर राजा ने अपने राजगुरु से इसका समाधान पूछा। गुरु ने बताया कि उनके पिता ने अपने जीवन में पाप किए थे, जिससे उन्हें नरक में जाना पड़ा। राजगुरु ने राजा को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने का परामर्श दिया। राजा ने पूरे विधि-विधान से व्रत किया, जिससे उनके पिता को मोक्ष प्राप्त हुआ।
2023 में मोक्षदा एकादशी की तिथि
इस वर्ष मोक्षदा एकादशी का पर्व 22 दिसंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा।निष्कर्ष
मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती का दिन न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि यह हमें जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और गीता का पाठ करने से व्यक्ति अपने जीवन को सुखमय और पापमुक्त बना सकता है। यह पर्व हमें धर्म, कर्तव्य और आत्मज्ञान का संदेश देता है।