मकर संक्रांति
मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक महत्त्वपूर्ण त्यौहार है, जो हर साल जनवरी के महीने में मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस घटना को उत्तरायण का प्रारंभ माना जाता है, जो एक शुभ अवसर है। क्योंकि इस समय सूर्य का प्रकाश उत्तरी गोलार्ध पर सीधा पड़ता है।
भारतीय संस्कृति में, संक्रांति के अवसर पर कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें से सबसे महत्त्वपूर्ण मकर संक्रांति है, जो माघ माह में मनाई जाती
मकर संक्रांति का महत्त्व
• उत्तरायण का प्रारंभ: मकर संक्रांति के दिन से सूर्य देव उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ने लगते हैं। इस दौरान दिन बड़े और रातें छोटी होती जाती हैं। हिंदू धर्म में उत्तरायण को शुभ माना जाता है, क्योंकि यह जीवन में सकारात्मक परिवर्तनों का प्रतीक है।
• सूर्य पूजा: मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में सूर्य देव को जीवन का स्रोत माना जाता है। सूर्य पूजा करने से मान-सम्मान, धन और स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
• दान: मकर संक्रांति के दिन दान करने का विशेष महत्त्व है। इस दिन गुड़, अन्न, वस्त्र, काला तिल, खिचड़ी आदि का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
मकर संक्रांति की मान्यताएँ
• कुंडली के दोष दूर होते हैं: मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन पानी में काला तिल और गंगाजल मिलाकर स्नान करने से कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं।
• सूर्य और शनि की कृपा मिलती है: मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं। इस दिन सूर्य और शनि दोनों की कृपा मिलती है।
• मान-सम्मान, धन और स्वास्थ्य लाभ मिलता है: मकर संक्रांति पर सूर्य पूजा करने से मान-सम्मान, धन और स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
• मोक्ष की प्राप्ति होती है: मकर संक्रांति के दिन गुड़, अन्न, वस्त्र, काला तिल, खिचड़ी आदि का दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मकर संक्रांति के दिन किए जाने वाले कार्य
• पवित्र नदियों में स्नान: मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्त्व है। इस दिन गंगा, यमुना, कावेरी, नर्मदा आदि नदियों में स्नान किया जाता है।
• सूर्य पूजा: मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन सूर्य मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
• दान: मकर संक्रांति के दिन दान करने का विशेष महत्त्व है। इस दिन गुड़, अन्न, वस्त्र, काला तिल, खिचड़ी आदि का दान किया जाता है।
• खान-पान: मकर संक्रांति के दिन विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं। इस दिन खिचड़ी, तिल के लड्डू, गुड़ के लड्डू आदि का सेवन किया जाता है।
मकर संक्रांति: स्वर्ग का द्वार खुलता है
हिंदू धर्म में, मकर संक्रांति को स्वर्ग का द्वार खुलने का दिन माना जाता है। इस दिन से धरती पर अच्छे दिनों की शुरुआत मानी जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सूर्य देव इस दिन से दक्षिण से उत्तरी गोलार्ध में गमन करने लगते हैं। इससे देवताओं के दिन का आरंभ होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन दान पुण्य करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन किए गए दान से स्वर्ग में जाने का मार्ग खुल जाता है। इसलिए इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करने, सूर्य देव की पूजा करने और दान करने का विशेष महत्त्व देते हैं।
भीष्म पितामह ने चुना था आज का दिन
मकर संक्रांति के दिन दान पुण्य करने का विशेष महत्त्व है। इस दिन किए गए दान से पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था। गीता में बताया गया है कि जो व्यक्ति उत्तरायण में शुक्ल पक्ष में देह का त्याग करता है, उसे मुक्ति मिल जाती है।
मकर संक्रांति से सूर्य देव उत्तरायण हो जाते हैं, इसलिए इस दिन को पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करने, सूर्य देव की पूजा करने और दान करने का विशेष महत्त्व देते हैं।
मकर संक्रांति: सूर्य और शनि के बीच का समझौता
मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर मकर में प्रवेश करते हैं। इस दिन को सूर्य और शनि के बीच के समझौते के रूप में भी देखा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य देव को कुष्ठ रोग था। उनके पुत्र शनि ने इस बीमारी को दूर करने के लिए तपस्या की। लेकिन सूर्य देव ने क्रोधित होकर शनि के घर कुंभ को जला दिया। इससे शनि और उनकी माता छाया को कष्ट उठाना पड़ा। शनि के दुख को देखकर यमराज ने सूर्य देव से अनुरोध किया। तब सूर्य देव ने शनि के घर को धन-धान्य से भरने का वरदान दिया। शनि देव ने कहा कि जो भी व्यक्ति मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करेगा, उसे शनि की दशा में कष्ट नहीं होगा। इस प्रकार, मकर संक्रांति को सूर्य और शनि के बीच के समझौते के रूप में देखा जाता है। इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर में प्रवेश करते हैं और शनि देव अपने पिता सूर्य देव की पूजा करते हैं।
मकर संक्रांति का व्यवहारिक और वैज्ञानिक कारण
व्यवहारिक कारण
मकर संक्रांति का व्यवहारिक कारण यह है कि यह एक कृषि-आधारित त्यौहार है। भारत एक कृषि प्रधान देश है और मकर संक्रांति के समय खरीफ फसलों का मौसम होता है। इस दिन किसान अपनी फसलों की कटाई करके घर लाते हैं। इसलिए, इस दिन को खुशी और उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
वैज्ञानिक कारण
मकर संक्रांति का वैज्ञानिक कारण यह है कि इस दिन से सूर्य के उत्तरायण होने से प्रकृति में बदलाव शुरू हो जाता है। दिन के समय बढ़ने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं। इससे ठंडी का मौसम धीरे-धीरे खत्म होने लगता है और गर्मी का मौसम शुरू होने लगता है।
निष्कर्ष
मकर संक्रांति एक महत्त्वपूर्ण त्यौहार है, जिसका व्यवहारिक और वैज्ञानिक दोनों कारण हैं। यह एक कृषि-आधारित त्यौहार है और इस दिन से प्रकृति में बदलाव शुरू हो जाता है।
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त
उदयातिथि के अनुसार, मकर संक्रांति इस बार 15 जनवरी 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस घटना को उत्तरायण का प्रारंभ माना जाता है, जो एक शुभ अवसर है।
मकर संक्रांति का पुण्य काल
मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान और सूर्य पूजा का विशेष महत्त्व होता है। पुण्य काल में स्नान-दान और सूर्य पूजा करने से अधिक पुण्य प्राप्त होता है। मकर संक्रांति का मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक महत्त्वपूर्ण त्यौहार है, जो हर साल जनवरी के महीने में मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस घटना को उत्तरायण का प्रारंभ माना जाता है, जो एक शुभ अवसर है। क्योंकि इस समय सूर्य का प्रकाश उत्तरी गोलार्ध पर सीधा पड़ता है।
मकर संक्रांति का त्यौहार सूर्य के उत्तरायण होने पर मनाया जाता है यह त्यौहार हर साल यह त्योहार13 या 14 जनवरी को ही मनाया जाता है मकर संक्रांति के दिन, सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस घटना को उत्तरायण का प्रारंभ माना जाता है। उत्तरायण का अर्थ है कि सूर्य देव उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ रहे हैं। इस दौरान दिन बड़े और रातें छोटी होती जाती हैं। सूर्य देव एक वर्ष में 12 राशियों में से गुजरते हैं। जब सूर्य किसी एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस घटना को संक्रांति कहते हैं। एक वर्ष में कुल 12 संक्रांतियाँ होती हैं, जिन्हें मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
भारतीय संस्कृति में, संक्रांति के अवसर पर कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें से सबसे महत्त्वपूर्ण मकर संक्रांति है, जो माघ माह में मनाई जाती
2024 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और सूर्य देव की पूजा करने से आरोग्य, धन, सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति का पर्व पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू धर्म में, मकर संक्रांति को स्वर्ग का द्वार खुलने का दिन माना जाता है। इस दिन से धरती पर अच्छे दिनों की शुरुआत मानी जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सूर्य देव इस दिन से दक्षिण से उत्तरी गोलार्ध में गमन करने लगते हैं। इससे देवताओं के दिन का आरंभ होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन दान पुण्य करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन किए गए दान से स्वर्ग में जाने का मार्ग खुल जाता है। इसलिएइसलिए इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करने, सूर्य देव की पूजा करने और दान करने का विशेष महत्व देते हैं।
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त
मकर संक्रांति पुण्यकाल – 07 बजकर 15 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक
मकर संक्रांति महा पुण्यकाल – 07 बजकर 15 मिनट से 09 बजकर 06 मिनट तक