चैत्र पूर्णिमा
चैत्र पूर्णिमा, हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो पूरे भारत में मनाया जाता है। तमिलनाडु और अन्य कई राज्यों में इसे विशेष पर्व माना जाता है। इस दिन चंद्रमा पूर्ण होता है, और हिंदू धर्म में चंद्रमा को भगवान विष्णु का प्रतिनिधि माना जाता है। इसलिए, चैत्र पूर्णिमा को भगवान विष्णु को समर्पित किया जाता है। इस दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा का पाठ करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
चैत्र पूर्णिमा किस समय मनाई जाती है?
चैत्र पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह दिन हिंदू नव वर्ष का आरंभ भी होता है। चैत्र पूर्णिमा को चैती पूनम, चैती पूर्णिमा, या बसंत पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अप्रैल या मई के महीने में आता है। 2023 में चैत्र पूर्णिमा 5 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन चंद्रमा की कलाओं की पूर्णता होती है, और चंद्रमा आकाश में सबसे बड़ा और सबसे चमकीला दिखाई देता है।
चैत्र मास में आने वाली पूर्णिमा को चैत्र पूर्णिमा कहा जाता है. इसे चैती पूनम भी कहा जाता है. चैत्र मास हिंदू वर्ष का पहला महीना होता है. इसलिए इस दिन का विशेष महत्व माना जाता है. चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान सत्य नारायण की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन विष्णु भगवान की पूरी विधिपूर्वक पूजा की जाती है. वहीं रात में चंद्रमा की पूजा की जाती है.
चैत्र माह हिंदू धर्म में नववर्ष का पहला माह होता है। इसलिए, चैत्र पूर्णिमा को नए साल की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन लोग नदियों, तालाबों, और समुद्रों में स्नान करते हैं, और भगवान विष्णु और चंद्रमा की पूजा करते हैं।
किन मान्यताओं के आधार पर मनाई जाती है चैत्र पूर्णिमा?
- महारास उत्सव का आयोजन: एक मान्यता के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज नगरी में महारास उत्सव का आयोजन किया था। यह उत्सव भगवान कृष्ण और गोपियों के नृत्य का एक दिव्य आयोजन था। इस आयोजन को चैत्र पूर्णिमा के दिन ही आयोजित किया गया था, इसलिए इस दिन को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
- हनुमान जी का जन्म: कई स्थानों पर चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को हनुमान जी की पूजा करके श्रद्धालु उनका जन्मदिन मनाते हैं।
- वैशाख माह का आगमन: चैत्र पूर्णिमा के बाद वैशाख माह का आगमन होता है। वैशाख माह को हिंदू धर्म में एक पवित्र माह माना जाता है। इसलिए चैत्र पूर्णिमा के दिन को भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता
चैत्र पूर्णिमा के उपाय
माता लक्ष्मी की कृपा के लिए : चैत्र पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करें और उन्हें खीर या सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं। शास्त्रों में बताया गया है कि पूर्णिमा तिथि के दिन पीपल के वृक्ष में माता लक्ष्मी वास करती हैं। इसलिए इस दिन पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करें और संध्या के समय पेड़ के नीचे दीपक जलाएं।
चंद्र देव की कृपा के लिए : चैत्र पूर्णिमा के दिन चंद्र देव की पूजा करें और उन्हें कच्चे दूध में चावल मिलाकर अर्घ्य दें। ‘ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमसे नम:’ या ‘ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:’ मंत्र का जाप करें।
वैवाहिक जीवन में सुख-शांति के लिए : चैत्र पूर्णिमा के दिन पति-पत्नी एक-साथ मिलकर चंद्र देव को अर्घ्य प्रदान करें। ‘ॐ नमो भगवते हनुमते नम:’ मंत्र का जाप करें।
हनुमान जी की कृपा के लिए : चैत्र पूर्णिमा के दिन सुबह और शाम को हनुमान चालीसा का पाठ करें। ‘ॐ नमो भगवते हनुमते नम:’ मंत्र का जाप करें।
भगवान सत्यनारायण की पूजा
इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा का विशेष महत्व है।
भगवान सत्यनारायण की पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- एक शुद्ध स्थान पर भगवान सत्यनारायण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- मूर्ति या चित्र के सामने एक चौकी पर कलश, फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप, और पान रखें।
- भगवान सत्यनारायण की पूजा करें और उनकी कथा सुनें।
- पूजा के बाद प्रसाद वितरित करें।
भगवान सत्यनारायण की पूजा के लाभ : भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से सभी तरह के पापों का नाश होता है। पूजा करने से धन, संपदा, और एश्वर्य की प्राप्ति होती है। भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से कुंडली में चंद्र ग्रह की स्थिति बेहतर होती है। भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
वर्तमान वर्ष 2024 में चैत्र पूर्णिमा त्यौहार की तिथि
मंगलवार, 23 अप्रैल 2024