राम नवमी
चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन, देशभर में रामनवमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में सदैव मर्यादाओं का पालन किया। वे एक आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श राजा और आदर्श इंसान थे। भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। उनके पिता दशरथ थे और माता कौशल्या थीं। राम ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी। उन्होंने हमेशा धर्म और सत्य के मार्ग पर चलते हुए अपनी मर्यादाओं का पालन किया। रामनवमी का पर्व हमें भगवान राम के आदर्शों को याद दिलाता है। यह हमें सिखाता है कि हमें अपने जीवन में हमेशा मर्यादाओं का पालन करना चाहिए। भगवान राम का जन्म राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर हुआ था। उनके तीन भाई थे: लक्ष्मण, शत्रुघ्न और भरत। लक्ष्मण का अर्थ है “सुरक्षा” , शत्रुघ्न का अर्थ है “शत्रुओं का नाश करने वाला” और भरत का अर्थ है “योग्य” ।
राम नवमी का त्यौहार ज्ञान के प्रकाश के उदय का प्रतीक है। भगवान राम ने अपने जीवन में हमेशा सही और न्याय के मार्ग का अनुसरण किया। वे हमारे लिए एक प्रेरणा हैं कि हम भी अपने जीवन में हमेशा अच्छाई और सच्चाई के लिए लड़ें। राम नवमी एक हिंदू चंद्र वर्ष के नौवें दिन या चैत्र मा
स की शुक्ल पक्ष की नवमी को आती है, जो आमतौर पर मार्च या अप्रैल के महीने में आती है। यह नौ दिवसीय चैत्र-नवरात्रि समारोहों के अंत का भी प्रतीक है।
ऋषि श्रृंगी का पुत्रेष्टियज्ञ
रामायण काल के महान ऋषि श्रृंगी बेहद ज्ञानी, सिद्धि और तपस्वी थे। उन्होंने राजा दशरथ को संतान प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ कराने की सलाह दी थी। यज्ञ के बाद ही भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। ऋषि श्रृंगी के आश्रम के बारे में दो मान्यताएँ हैं। एक मान्यता के अनुसार, उनका आश्रम बिहार के लखीसराय में था। दूसरी मान्यता के अनुसार, उनका आश्रम आगरा के पास भी था।
भगवान राम का जन्म
भगवान विष्णु ने माता कौशल्या को अपने चतुर्भुज रूप के दर्शन करवाए थे। माता कौशल्या बहुत प्रसन्न हुईं, लेकिन वे भगवान के बाल रूप को देखने के लिए भी उत्सुक थीं। उन्होंने भगवान से प्रार्थना की, “हे भगवान, मैं आपके बाल रूप को देखने के लिए बहुत आतुर हूँ। कृपया मुझे अपने बाल रूप का दर्शन कराएँ।” भगवान विष्णु ने माता कौशल्या की प्रार्थना सुनी और उन्हें अपने बाल रूप का दर्शन दिया। माता कौशल्या को भगवान के बाल रूप देखकर बहुत आनंद हुआ। उन्होंने भगवान से कहा, “प्रभु, आपका बाल रूप बहुत ही सुंदर और मनमोहक है। आप चतुर्भुज रूप को त्याग कर सबको सुख देने वाली बाल लीलाएँ करें।” भगवान विष्णु ने माता कौशल्या की बात मान ली और उन्होंने राम के रूप में जन्म लिया। राम ने अयोध्या में अपना बाल जीवन बिताया और कई लीलाएँ की। इन लीलाओं का वर्णन रामचरित मानस में मिलता है।
भगवान राम का नामकरण
रघुवंशियों के गुरु महर्षि वशिष्ठ ने भगवान राम का नामकरण किया था। उन्होंने बताया कि राम शब्द दो बीजाक्षरों से मिलकर बना है: अग्नि बीज और अमृत बीज। अग्नि बीज आत्मा को शक्ति प्रदान करता है, जबकि अमृत बीज आत्मा को पवित्रता प्रदान करता है। इसलिए, राम नाम लेने भर से आत्मा, शरीर और दिमाग में शक्ति और सुकून मिलता है।
भगवान राम के मुंडन संस्कार
नामकरण के बाद, अयोध्या में यह बात उठने लगी कि राम समेत सभी बच्चों का मुंडन कहाँ करवाया जाए। गुरु वशिष्ठ से सलाह मांगी गई। उन्होंने कहा कि ऋषि श्रृंगी के आश्रम में सभी बच्चों का मुंडन करना चाहिए दशरथ समेत सभी रानियाँ और बच्चे ऋषि श्रृंगी के आश्रम पहुँचे। ऋषि श्रृंगी ने विधि-विधान से सभी बच्चों का मुंडन किया। राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का मुंडन हुआ।
राम का अर्थ
राम का अर्थ है स्वयं का प्रकाश, या अपने भीतर का प्रकाश। यह शब्द “रवि” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “सूर्य” । सूर्य प्रकाश का प्रतीक है और यह हमारे भीतर के प्रकाश का भी प्रतिनिधित्व करता है। “रवि” शब्द में, “आर” का अर्थ है “प्रकाश” और “वी” का अर्थ है “विशेष” । इसका अर्थ है कि हमारा भीतर का प्रकाश अनन्त और विशेष है। यह हमारे हृदय का प्रकाश है, जो हमें प्रेम, दया और करुणा से भर देता है।राम हमारी आत्मा का प्रकाश हैं। वे हमें अपने भीतर के प्रकाश को खोजने और उसे प्रकट करने में मदद करते हैं। वे हमें सही रास्ते पर चलने और एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए प्रेरित करते हैं।
राम नवमी का महत्त्व:
भगवान राम का जन्म: राम नवमी भगवान राम के जन्म का उत्सव है। भगवान राम हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। वे मर्यादा पुरुषोत्तम के प्रतीक हैं, जो एक आदर्श व्यक्ति के गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
अत्याचारों का अंत: हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम ने रावण के अत्याचारों का अंत किया था। रावण एक राक्षस था जो दस सिर वाला था। उसने अयोध्या पर शासन किया और लोगों पर अत्याचार किया। भगवान राम ने रावण को हराकर लोगों को मुक्त किया।
ज्ञान का प्रकाश: राम नवमी ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक है। भगवान राम ने अपने जीवन में हमेशा सही और न्याय के मार्ग का अनुसरण किया। वे हमारे लिए एक प्रेरणा हैं कि हम भी अपने जीवन में हमेशा अच्छाई और सच्चाई के लिए लड़ें।
राम जन्म अवतार इतिहास, कथा
त्रेता युग में, जब धरती पर अत्याचार और अधर्म का बोलबाला था, तब भगवान विष्णु ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के रूप में अवतार
राम के जन्म की कथा
राजा दशरथ और उनकी तीन रानियों-कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी-को संतान सुख नहीं था। इस पर उन्होंने ऋषि वशिष्ठ से सलाह ली। ऋषि वशिष्ठ ने उन्हें कमेष्ठि यज्ञ करने की सलाह दी। इस यज्ञ के फलस्वरूप, राजा दशरथ के तीनों रानियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।
कौशल्या की कोख से भगवान राम, सुमित्रा की कोख से लक्ष्मण और शत्रुघ्न और कैकेयी की कोख से भरत का जन्म हुआ। भगवान राम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को हुआ था। इस दिन को राम नवमीके रूप में मनाया जाता है।
राम के जीवन
राम एक आदर्श राजा और पुत्र थे। उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने हमेशा धर्म और न्याय का मार्ग अपनाया। उन्होंने रावण का वध करके धरती को उसके अत्याचार से मुक्त कराया।
वर्तमान वर्ष 2024 में चैत्र नवरात्रि की तिथि
17 अप्रैल को नवरात्रि के नौवे दिन राम जन्म राम नवमी मनाई जाएगी। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 11: 17 से 13: 46 तक का है