बुद्ध पूर्णिमा, जिसे वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है, बौद्ध समुदाय के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार गौतम बुद्ध के जीवन के तीन महत्वपूर्ण घटनाओं – जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बोधि), और महापरिनिर्वाण (मृत्यु) – का प्रतीक है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह त्योहार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान और दान धर्म के कार्य विशेष महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
इस बार बुद्ध पूर्णिमा 23 मई, गुरुवार को मनाई जाएगी और इसे विशेष माना जा रहा है क्योंकि इस दिन कई शुभ योगों का संयोग बन रहा है, जैसे सर्वार्थ सिद्धि योग, शिव योग, शुक्र सूर्य युति से शुक्रादित्य योग, राजभंग योग और गजलक्ष्मी राजयोग।
बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास
गौतम बुद्ध की कहानी लगभग 2,500 साल पहले नेपाल के लुंबिनी में शुरू हुई थी। बुद्ध के अनुयायी इस दिन को उनके जन्म के रूप में मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। बौद्ध लेखों के अनुसार, गौतम बुद्ध ने बिहार के बोधगया में एक बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान लगाया था और वहीं उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन पूजा कैसे करें?
- सूर्योदय से पूर्व उठें: सबसे पहले घर की साफ-सफाई करें।
- स्नान: स्नान के बाद अपने ऊपर गंगाजल का छिड़काव करें।
- दीप प्रज्वलन: घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं और उनका पूजन करें।
- स्वस्तिक निर्माण: घर के प्रवेश द्वार पर हल्दी, रोली या कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और वहां गंगाजल छिड़कें।
- दान: पूजा के बाद गरीबों को भोजन कराएं और उन्हें कपड़े दान करें।
- पक्षी की मुक्ति: यदि आपके घर में कोई पक्षी है तो उसे बुद्ध पूर्णिमा के दिन आज़ाद कर दें।
- चंद्र पूजन: संध्या को उगते चंद्रमा को जल अर्पित करें।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
बुद्ध पूर्णिमा दुनियाभर के बौद्ध अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। गौतम बुद्ध, जिन्हें एक महान आध्यात्मिक नेता माना जाता है, ने सभी प्रकार के सांसारिक सुखों और भौतिकवादी संपत्ति को त्याग कर सरल और आध्यात्मिक जीवन जीने का संदेश दिया। उन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना की और अपनी शिक्षाओं से संसार को रोशन किया।
गौतम बुद्ध कौन थे?
गौतम बुद्ध का जन्म सिद्धार्थ गौतम के नाम से हुआ था। वह एक आध्यात्मिक गुरु थे, जिनकी शिक्षाओं से बौद्ध धर्म की स्थापना हुई। उनके जन्मस्थान को लेकर कई मत हैं, लेकिन अधिकतर लोग नेपाल के लुम्बिनी को उनका जन्मस्थान मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि गौतम बुद्ध ने बोधगया में ज्ञान प्राप्त किया और पहली बार सारनाथ में धर्म की शिक्षा दी।
बुद्ध पूर्णिमा के धार्मिक कार्य
वैशाख पूर्णिमा के दिन व्रत और पुण्य कर्म करने से शुभ फल प्राप्त होता है। पूजा विधि इस प्रकार है:
- सूर्योदय से पहले उठें: किसी पवित्र नदी, कुएं, जलाशय या बावड़ी में स्नान करें। स्नान के बाद सूर्य मंत्र का जप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- व्रत संकल्प: स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु का पूजन करें।
- धर्मराज के निमित्त दान: जल से भरा कलश और पकवान देने से गोदान के तुल्य फल की प्राप्ति होती है।
- तिल का दान: 5 या 7 ब्राह्मणों को शक्कर के साथ तिल का दान करने से पापों का नाश होता है।
- दीप जलाएं: तिल के तेल का दीपक जलाएं और तिलों का तर्पण करें।
- एक समय भोजन: व्रत के दौरान केवल एक समय ही भोजन का सेवन करें।
बुद्ध पूर्णिमा 2024 मुहूर्त
- स्नान–दान का समय: सुबह 04:04 से सुबह 05:26 तक
- पूजा का समय: सुबह 10:35 से दोपहर 12:18 तक
- चंद्रोदय समय: रात 07:12