हरियाली तीज
सावन हिंदू धर्म में एक पवित्र महीना है। इस महीने में प्रकृति में हरियाली छा जाती है। आसमान में घने काले बादल उमड़ते हैं और रिमझिम बारिश होती है। इस बारिश से पृथ्वी और वातावरण शुद्ध हो जाता है। इस महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इसे श्रावणी तीज, हरितालिका तीज, सिंधारा तीज व छोटी तीज के नाम से भी जाना जाता है। हरियाली तीज का त्यौहार हरियाली अमावस्या के दो दिन के बाद मनाया जाता है।
सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इस दिन सुहागिन महिलाएँ व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। वे नए कपड़े पहनती हैं और सोलह शृंगार करती हैं। इस दिन महिलाएँ एक-दूसरे को बायना देती हैं।
नवविवाहितों के लिए खास है पहली हरियाली तीज
सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का त्यौहार मनाया जाता है। यह दिन सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्त्व रखता है, खासकर नवविवाहितों के लिए।
नवविवाहिता का पहला सावन
हरियाली तीज के दिन नवविवाहिता को ससुराल से मायके बुलाया जाता है। इस दौरान वह अपने मायके में ही हरियाली तीज का व्रत रखती है। इस दिन नवविवाहिता को ससुराल से सिंजारा आता है, जिसमें वस्त्र, आभूषण, शृंगार का सामान, मेहंदी, फल और मिठाई भेजी जाती है।
हरियाली तीज का व्रत
हरियाली तीज का व्रत पति की लंबी आयु और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखा जाता है। यह व्रत निर्जला होता है, लेकिन जो महिलाएँ निर्जला व्रत नहीं रख सकती हैं, वे फलाहार व्रत रख सकती हैं। हरियाली तीज का व्रत निर्जला या फलाहार दोनों तरह से रखा जा सकता है। जो महिलाएँ निर्जला व्रत रखती हैं, वे पूरे दिन बिना पानी पिए रहती हैं। जो महिलाएँ फलाहार व्रत रखती हैं, वे दिन में केवल फल और पानी का सेवन करती हैं।
हरियाली तीज व्रत के नियम
- हरियाली तीज का व्रत निर्जला या फलाहार दोनों ही तरह से रखा जा सकता है।
- विवाह के बाद का पहला हरियाली तीज व्रत मायके में रखा जाता है।
- इस व्रत में हरे रंग का विशेष महत्त्व है।
- हरियाली तीज के दिन सूर्योदय से पूर्व पानी में सफेद तिल डालकर स्नान करें।
- हरियाली तीज का व्रत कथा के बिना अधूरा है। इसलिए शंकर-पार्वती की पूजा के बाद कथा का श्रवण करें और झूला-झूलें।
- पूजा के बाद माता रानी को चढ़ाया हुआ सिंदूर मांग में भरें और पति की लंबी आयु की कामना करें।
- हरियाली तीज का व्रत चंद्रमा को अघ्र्य देने के बाद ही खोलें। व्रत खोलते समय पूजा में जो भोग लगाया हुआ प्रसाद है, उसे सबसे पहले ग्रहण करें और फिर इसके बाद भोजन करें।
हरियाली तीज की पूजा
हरियाली तीज के दिन महिलाएँ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। वे उन्हें हरे रंग के फूल, फल, मिठाई और अन्य प्रसाद अर्पित करती हैं। पूजा के बाद वे झूला झूलती हैं और तीज की कथा सुनती हैं।
हरियाली तीज का महत्त्व
हरियाली तीज का त्यौहार सुहागिन महिलाओं के लिए एक विशेष त्यौहार है। यह दिन उनके लिए प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। इस दिन महिलाएँ अपने पति के लिए व्रत रखती हैं और उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं। हरियाली तीज का त्यौहार प्रकृति के नवनिर्माण का प्रतीक है। इस दिन प्रकृति में हरियाली छा जाती है और आसमान में घने बादल उमड़ते हैं। इस दिन महिलाएँ नए कपड़े पहनती हैं और सोलह शृंगार करती हैं। वे हरे रंग के कपड़े पहनना पसंद करती हैं, क्योंकि हरे रंग को सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
ठाकुरानी तीज हरियाली तीज का त्यौहार नाथद्वारा के श्रीजी मंदिर में परम पूज्य श्री राधारानी को समर्पित है। इस दिन को ठाकुरानी तीज कहा जाता है। यह त्यौहार राजस्थान के राजपुताना राज-घरानों में विशेष महत्त्व रखता है। इसे छोटी तीज भी कहा जाता है।
ठाकुरानी तीज का महत्त्व ठाकुरानी तीज का त्यौहार प्रकृति के नवनिर्माण और प्रेम का प्रतीक है। इस दिन प्रकृति में हरियाली छा जाती है और आसमान में घने बादल उमड़ते हैं। इस दिन महिलाएँ नए कपड़े पहनती हैं और सोलह शृंगार करती हैं। वे हरे रंग के कपड़े पहनना पसंद करती हैं, क्योंकि हरे रंग को सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
ठाकुरानी तीज की पूजा ठाकुरानी तीज के दिन महिलाएँ श्रीजी मंदिर में श्री राधारानी की पूजा करती हैं। वे उन्हें हरे रंग के फूल, फल, मिठाई और अन्य प्रसाद अर्पित करती हैं। पूजा के बाद वे झूला झूलती हैं और तीज की कथा सुनती हैं।
हरियाली तीज 2024 में 07 अगस्त, बुधवार को है