देशभर में नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना के बाद आज दशहरा या विजयादशमी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास और श्रद्धा से मनाया जा रहा है। विभिन्न संस्कृतियों और क्षेत्रों में दशहरे की परंपराएं अलग हो सकती हैं, लेकिन सभी का उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाना है। यह दिन धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। विजयादशमी हमें यह सिखाती है कि जीवन में संघर्ष और चुनौतियों का सामना धैर्य, सत्य और नैतिकता के साथ करना चाहिए।
दशहरा का महत्व
बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था और देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस को पराजित किया था। इसका धार्मिक और सामाजिक महत्व यह है कि यह दिन हमें सिखाता है कि सत्य, साहस और शक्ति के माध्यम से हर बुराई को हराया जा सकता है। यह पर्व समाज में विजय, समृद्धि और सौहार्द का संदेश देता है।
पूजन विधि और मुहूर्त
आज, 12 अक्टूबर 2024 को दशहरे के दिन पूरे देश में विभिन्न प्रकार की पूजा और अनुष्ठान किए जाएंगे। उत्तरी भारत में भगवान राम की विजय के रूप में दशहरा मनाया जाता है, जबकि पूर्वी भारत में दुर्गा पूजा के समापन पर मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। दक्षिण भारत में इस दिन को शक्ति और विजय का प्रतीक मानकर शस्त्रों और औजारों की पूजा की जाती है।
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:03 से 2:49 बजे तक (46 मिनट)
अपराह्न पूजा का समय: दोपहर 1:17 से 3:35 बजे तक
रावण दहन का समय: शाम 5:54 से 7:27 बजे तक
दशहरे से जुड़ी प्रमुख परंपराएं
रावण दहन: दशहरे की प्रमुख परंपराओं में से एक है रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
रामलीला: रामायण की कथा पर आधारित रामलीला का मंचन दशहरे के दौरान होता है, जो भगवान राम के जीवन और संघर्षों का चित्रण करता है।
आयुध पूजा: दक्षिण भारत में हथियार और औजारों की पूजा की जाती है, जिसे शक्ति और सफलता का प्रतीक माना जाता है।
शमी वृक्ष की पूजा: महाराष्ट्र और कर्नाटक में शमी वृक्ष की पूजा होती है, जिसे समृद्धि और विजय का प्रतीक माना जाता है। महाभारत के पांडवों की कहानी से यह परंपरा जुड़ी है।
नीलकंठ पक्षी के दर्शन: कई स्थानों पर नीलकंठ पक्षी को देखना शुभ माना जाता है, जो भगवान शिव का प्रतीक होता है।
दशहरे का यह पर्व हमें सदैव यह याद दिलाता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली हो, सत्य और अच्छाई की विजय अवश्य होती है।