भारत में हर साल मनाए जाने वाले मुख्य त्योहारों में दीपावली का विशेष स्थान है। इसे ‘दीपों का पर्व’ भी कहते हैं और यह रोशनी की जीत और बुराई पर अच्छाई के विजय का प्रतीक है। इस लेख में हम दीपावली के महत्व, परंपराओं और इससे जुड़ी पौराणिक कहानियों को समझने का प्रयास करेंगे।
दीपावली का महत्व
- प्रकाश की विजय: दीपावली अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह विजयदशमी के बाद आता है, जब भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर माता सीता को मुक्त कराया और अयोध्या वापस लौटे।
- धार्मिक परंपरा: दीपावली भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। इस दिन लोग घरों को सजाते हैं, दीप जलाते हैं और अपने परिवार के साथ समय बिताते हैं, जिससे एक नई शुरुआत का अहसास होता है।
- सामाजिक सौहार्द: दीपावली विभिन्न समाजों और समुदायों के बीच एकता का प्रतीक है। यह पर्व सभी को मिलकर मनाने का मौका देता है और सामाजिक सौहार्द को प्रबल करता है।
दीपावली की परंपराएँ
- घर की साफ-सफाई: दीपावली के पूर्व लोग अपने घरों की सफाई करते हैं। यह नवीनीकरण और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।
- दीप जलाना: इस पर्व पर घरों में दीप जलाने की परंपरा है, जिससे बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश मिलता है।
- लक्ष्मी और गणेश पूजा: दीपावली पर विशेष रूप से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिससे धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
दीपावली का पौराणिक महत्व
भगवान श्रीराम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने पर अयोध्यावासियों ने घी के दीयों से नगर को सजाया। इस खुशी में दीपावली का त्योहार मनाने की परंपरा आरंभ हुई, जो आज तक जारी है। दक्षिण भारत में इसे भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर वध की खुशी में मनाया जाता है, जबकि कुछ लोग इसे लक्ष्मी-विष्णु के विवाह के रूप में मानते हैं।
दिवाली पर देवी लक्ष्मी की पूजा का कारण
दिवाली पर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिन्हें धन और समृद्धि की देवी माना गया है। यह पूजा सभी को धन और सुख की प्राप्ति का प्रतीक मानी जाती है।
दीपावली का संदेश
दीपावली हमें जीवन में खुश रहने, दूसरों के लिए प्रकाश लाने और समाज में प्रेम व सम्मान को बनाए रखने का संदेश देती है। यह त्यौहार सिखाता है कि चाहे कितनी भी कठिनाई क्यों न हो, अच्छाई हमेशा अंधकार पर विजय प्राप्त करती है।
दीपावली के पांच दिवसीय महोत्सव का महत्व
- धनतेरस: इस दिन धन और स्वास्थ्य के देवता धन्वंतरि की पूजा होती है और नई वस्तुओं की खरीदारी होती है।
- नरक चतुर्दशी: लोग इस दिन यमराज की पूजा कर अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति की कामना करते हैं।
- दीपावली: मुख्य दिन पर घरों में लक्ष्मी-गणेश की पूजा कर धन-धान्य और समृद्धि की कामना की जाती है।
- गोवर्धन पूजा: इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर लोगों को सुरक्षित रखने की कथा का स्मरण किया जाता है।
- भाई दूज: भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों की लंबी आयु की कामना करती हैं।
दीपावली कब मनाई जाती है?
यह पर्व हर साल दशहरे के 21 दिन बाद कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, जो अक्टूबर या नवंबर में आता है। इस साल दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
दीपावली न केवल भारतीय समाज में बल्कि पूरी दुनिया में प्रेम, सद्भाव और नए आरंभ का प्रतीक है। इस दीपावली, हम सभी अपने जीवन में खुशियाँ और समृद्धि लाने की कामना करते हैं।
दिवाली 2024 तिथियां और समय
- धनतेरस: 29 अक्टूबर, शाम 7:27 – रात 9:16 बजे
- छोटी दिवाली: 30 अक्टूबर, शाम 6:06 बजे
- लक्ष्मी पूजा: 31 अक्टूबर, शाम 7:19 – रात 9:11 बजे
- गोवर्धन पूजा: 2 नवंबर