तुलसी विवाह का महत्व
तुलसी विवाह हिंदू धर्म का एक पवित्र पर्व है, जिसमें तुलसी के पौधे का विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप से होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, तुलसी विवाह करने से परिवार में सुख, शांति, और समृद्धि का आगमन होता है। यह पर्व कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी को मनाया जाता है, जिस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं। इस दिन तुलसी विवाह से पुण्य की प्राप्ति होती है।
तुलसी विवाह 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त
तिथि: 13 नवंबर 2024 (एकादशी तिथि)
शुभ मुहूर्त: शाम 5:29 बजे से 7:53 बजे तक
इस समय पर तुलसी विवाह करने से विशेष फल मिलता है और भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
तुलसी विवाह की पूजा सामग्री
तुलसी विवाह के लिए आवश्यक सामग्री:
लकड़ी की चौकी (जिस पर तुलसी का पौधा रखा जाएगा)
गेरू (चौकी सजाने के लिए)
तुलसी का पौधा
भगवान विष्णु का शालिग्राम स्वरूप
फल, फूल, और माला
चंदन, धूपबत्ती, और घी का दीपक
सिंदूर, हल्दी, कुमकुम
लाल चुनरी और श्रृंगार का सामान
गन्ना, कलश, गंगाजल, आम के पत्ते,
तुलसी विवाह की पूजा विधि
1. स्नान और शुद्धि: प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
2. चौकी सजाएं: लकड़ी की चौकी पर गेरू लगाकर सजा लें और तुलसी के पौधे को चौकी पर रखें। इसके पास शालिग्राम को स्थापित करें।
3. जल अर्पित करें: तुलसी के पौधे में जल अर्पित करें और दीपक जलाएं।
4. पूजन करें: भगवान विष्णु और तुलसी का विधिवत पूजन करें। तुलसी को सिंदूर, हल्दी, और कुमकुम लगाएं। फिर तुलसी पर लाल चुनरी ओढ़ाएं।
5. मंत्र जाप: तुलसी और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
6. फूल और फल चढ़ाएं: पूजा के अंत में भगवान विष्णु और तुलसी को फूल, फल, और मिठाई अर्पित करें और प्रसाद बांटें।
7. दीपदान: संध्या में तुलसी के समक्ष दीपक जलाकर प्रार्थना करें।
तुलसी विवाह का धार्मिक महत्व और लाभ
तुलसी विवाह की पौराणिक कथा के अनुसार, जालंधर नामक दैत्य को पराजित करने के बाद भगवान विष्णु ने उसकी पत्नी वृंदा को पुनर्जन्म का वरदान दिया, जिससे तुलसी का जन्म हुआ और भगवान विष्णु से उनका विवाह हुआ। इस दिन तुलसी विवाह करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे परिवार में सुख, शांति, और समृद्धि आती है।
अन्य महत्वपूर्ण तिथियाँ
- देवउठनी एकादशी: 12 नवंबर 2024
- कार्तिक पूर्णिमा: 17 नवंबर 2024