आज चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन है, और इस दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की आराधना की जाती है। मां चंद्रघंटा अपने भक्तों को साहस, शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती हैं। उनका स्वरूप दिव्य और शक्तिशाली है, जिसमें उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र स्थित है, जो उनकी अद्वितीय शक्ति और करुणा का प्रतीक है। स्वर्ण जैसी चमकती काया और दस हाथों में विविध अस्त्र-शस्त्र धारण किए मां चंद्रघंटा, सिंह पर सवार होकर अपने भक्तों की सभी बाधाओं को दूर करने का आशीर्वाद देती हैं।
इस विशेष दिन पर श्रद्धालु भोर में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर मां की आराधना करते हैं। देवी की मूर्ति या चित्र को गंगा जल से स्नान कराने के बाद, धूप-दीप जलाकर, रोली, चंदन, पुष्प और भोग अर्पित किया जाता है। भक्तजन मंत्रों का उच्चारण कर मां की कृपा प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं। इस दिन मां को विशेष रूप से दूध और उससे बनी मिठाइयों का भोग लगाया जाता है, जिससे उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
मां चंद्रघंटा के ध्यान और पूजन से न केवल मानसिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि जीवन में आत्मविश्वास और साहस भी बढ़ता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब महिषासुर के आतंक से स्वर्गलोक त्रस्त हो गया था, तब देवी चंद्रघंटा ने अपने पराक्रम से उसका संहार कर देवताओं को पुनः उनका स्थान दिलाया था। इस कथा से यह संदेश मिलता है कि जब भी बुराई अपने चरम पर होती है, तब शक्ति का अवतार उसे समाप्त करने के लिए प्रकट होता है।
आज के दिन का शुभ रंग लाल है, जो शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इस दिन माता की आराधना कर भक्तजन जीवन की नकारात्मकताओं से मुक्ति पाने का प्रयास करते हैं। माता चंद्रघंटा की कृपा से सभी को सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त हो।