पटना सनातन महाकुंभ: बागेश्वर बाबा और रामभद्राचार्य का बड़ा बयान
पटना के गांधी मैदान में सनातन महाकुंभ का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें देशभर के संत-महात्माओं ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम की शुरुआत भगवान परशुराम जन्म महोत्सव के अवसर पर की गई। इस धार्मिक आयोजन में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री उर्फ बाबा बागेश्वर और जगद्गुरु रामभद्राचार्य की विशेष उपस्थिति रही।
बिहार से शुरू होगा हिंदू राष्ट्र: बाबा बागेश्वर
धीरेंद्र शास्त्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत अगर हिंदू राष्ट्र बनेगा तो उसकी शुरुआत बिहार से होगी। उन्होंने कहा, “हम राम नीति के लिए आए हैं, राजनीति के लिए नहीं।” बाबा ने यह भी घोषणा की कि वे विधानसभा चुनाव के बाद पूरे बिहार का दौरा करेंगे और हिंदू राष्ट्र की पदयात्रा करेंगे।
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वे किसी धर्म के विरोधी नहीं हैं, बल्कि राष्ट्रवादी विचारधारा को मजबूत करना चाहते हैं। “हमारा लक्ष्य ‘भगवा-ए-हिंद’ है, न कि ‘गजवा-ए-हिंद’,” उन्होंने कहा।
रामभद्राचार्य का कड़ा बयान
रामभद्राचार्य महाराज ने मंच से कहा कि “हिंदू को जो बांटेगा, वह खुद कट जाएगा।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें और बाबा बागेश्वर को गांधी मैदान में प्रवेश से रोका गया था। उन्होंने यह बात दोहराई कि अब हिंदू विरोधी ताकतों को सत्ता नहीं मिलेगी।
उन्होंने बिहार के साथ अपने आत्मीय रिश्ते का जिक्र करते हुए कहा, “बिहार ने ज्ञान, नीति और मां सीता दी है। हम इस भूमि के ऋणी हैं।”
राजनीति नहीं, राम नीति
बाबा बागेश्वर ने जोर देते हुए कहा कि वे किसी पार्टी विशेष के नहीं, बल्कि राम भक्तों के साथ हैं। उन्होंने तिरंगे को लेकर भी एक बयान दिया कि “कुछ लोग तिरंगे में चांद चाहते हैं, जबकि हम चांद पर तिरंगा चाहते हैं।”
राज्यपाल की मौजूदगी और आयोजन की भव्यता
इस आयोजन में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भी शिरकत की, जिससे कार्यक्रम की गरिमा और बढ़ गई। राष्ट्रगान से कार्यक्रम की शुरुआत हुई और पूरे गांधी मैदान का माहौल पूरी तरह धार्मिक-आध्यात्मिक बना रहा।
राम कर्मभूमि न्यास द्वारा आयोजित इस महाकुंभ में देशभर के शंकराचार्य, महामंडलेश्वर, मठाधीश, और सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए।
निरहुआ का समर्थन
भोजपुरी अभिनेता और बीजेपी सांसद दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने बाबा बागेश्वर के हिंदू राष्ट्र वाले बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “भारत में जितने अल्पसंख्यक खुशहाल हैं, उतने दुनिया में कहीं नहीं।”
निष्कर्ष
पटना का यह सनातन महाकुंभ न केवल धार्मिक श्रद्धा का केंद्र बना, बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक विमर्श का भी प्रतीक बन गया। बाबा बागेश्वर और रामभद्राचार्य जैसे धर्मगुरुओं की उपस्थिति ने इसे एक ऐतिहासिक आयोजन बना दिया, जो आने वाले दिनों में बिहार की राजनीतिक दिशा को भी प्रभावित कर सकता है।
