दीपावली
भारत में हर साल आने वाले त्योहारों में से एक त्योहार दीपावली है, जिसे ‘दीपावली’ या ‘दिवाली’ के नाम से भी जाना जाता है। यह हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण और प्रमुख त्योहार है, जो प्रकाश की जीत का प्रतीक है। इस पोस्ट में, हम दीपावली के महत्व, परंपराएँ, और इसके पीछे की कहानी को जानेंगे, और इस पावन त्योहार की महत्वपूर्ण जानकारियों को साझा करेंगे
दीपावली का महत्व
प्रकाश की जीत: दीपावली का मुख्य महत्व प्रकाश की जीत को सिद्ध करने में है। इसे विजयदशमी के बाद मनाया जाता है, जब श्रीराम ने लंका के रावण को पराजित किया था।
परंपरागत महत्व: दीपावली का त्योहार हिन्दू संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और परंपराओं का पालन करने का एक तरीका है। घरों को सजाना, दीपों को जलाना, और परिवार के साथ समय बिताना इस त्योहार की महत्वपूर्ण परंपरा है।
सामाजिक सांस्कृतिक सद्भावना: दीपावली विभिन्न समुदायों और जातियों के बीच एकता का प्रतीक है। यह त्योहार लोगों को मिलकर मनाने का अवसर प्रदान करता है और सामाजिक सांस्कृतिक सद्भावना को बढ़ावा देता है।
दीपावली की परंपराएँ
घर की सफाई: दीपावली के पहले ही दिन, घर की सफाई करके लोग अपने घरों को तैयार करते हैं। यह एक नए आरंभ का प्रतीक होता है।
दीपों की रौशनी: दीपावली के दिन, घरों में दीपों की रौशनी जलाई जाती है, जिसका मतलब है कि अच्छाई की जीत हमेशा बुराई पर होती है।
पुजा और आराधना: दीपावली के दिन, लोग विभिन्न देवताओं की पूजा करते हैं, जैसे कि गणेश और लक्ष्मी। इसके साथ ही, खास धार्मिक पूजाएँ और आराधनाएँ भी की जाती हैं।
दीपावली का अर्थ
दीपावली त्योहार भारतीय समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। यह त्योहार प्रकाश की ओर आग्रहण करता है और लोगों को अच्छे और सद्गुणित जीवन की ओर प्रोत्साहित करता है। दीपावली से प्रेम, और खुशी का अवसर मिलता है, और यह हमारे लिए एक गहरे सामाजिक संदेश के साथ आता है।
इस दीपावली को साथ मनाते समय, हमें इसके महत्व का अंदाजा करना चाहिए और इस अद्भुत त्योहार की आदर्श परंपरा का आनंद लेना चाहिए। हम आपकी और आपके परिवार की खुशियों की कामना करते हैं, और ईश्वर से प्राप्त होने वाले सुख और समृद्धि के आशीर्वाद की प्राप्ति हो।
दीपावली भारत के हिंदुओं का सबसे महत्त्वपूर्ण और लोकप्रिय त्यौहार है। दीपावली को दीपों का त्यौहार या दीपोत्सव भी कहा जाता है। यह रोशनी का त्यौहार है इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश जी की पूजा की जात्ती है यह कार्तिक मास के अमावस्या तिथि को मनाया जाता है यह त्यौहार आम तौर पर अंधेरे पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है दीवाली, दिवाली या दीपावली के नाम से भी जाना जाने वाला एक सामाजिक-सांस्कृतिक त्यौहार है। दिवाली रोशनी का त्यौहार है।
दीपावली पर्व का आध्यात्मिक महत्त्व
भगवान श्री राम, अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ, लंका के राजा रावण का वध करके 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। उनके अयोध्या लौटने की ख़ुशी में अयोध्या वासियों ने पूरी अयोध्या को घी के दीपों से सजाया था। तब से दीपावली का त्यौहार प्रत्येक वर्ष मनाया जाने लगा। इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है दक्षिण भारत में यह त्यौहार कृष्ण द्वारा राक्षस नरकासुर की हार का प्रतीक है। कुछ लोग दिवाली को लक्ष्मी और विष्णु के विवाह के स्मरणोत्सव के रूप में मनाते हैं, जबकि अन्य इसे लक्ष्मी के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं।
दिवाली पर देवी लक्ष्मी की पूजा क्यों करते हैं?
दिवाली पर देवी लक्ष्मी की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि वह धन और समृद्धि की देवी हैं। लोग मानते हैं कि उनकी पूजा करने से उनके जीवन में धन और समृद्धि आती है।
दिवाली हमें कई महत्त्वपूर्ण बातें सिखाती है।
इनमें से कुछ बातें निम्नलिखित हैं:
- बुरे वक्त में भी खुश रहना: दिवाली हमें बुरे वक्त में भी खुश रहने की प्रेरणा देती है। यह हमें याद दिलाती है कि प्रकाश हमेशा अंधकार पर जीत जाता है।
- दूसरों के जीवन में प्रकाश लाना: दिवाली हमें दूसरों के जीवन में प्रकाश लाने की प्रेरणा देती है। यह हमें जरूरतमंद और गरीब लोगों की मदद करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
- एक-दूसरे के प्रति सम्मान: दिवाली हमें एक-दूसरे के प्रति सम्मान करने की प्रेरणा देती है। यह हमें भाईचारे और प्रेम का संदेश देती है।
दीपावली पर्व का महत्त्व
दीपावली दो शब्दों से मिलकर बना है, दीप और आवली। दीप का अर्थ है दीपक और आवली का अर्थ है श्रृंखला। यानी, दीपावली का अर्थ है दीपों की श्रृंखला। दीपावली सिर्फ एक त्यौहार नहीं है, बल्कि यह त्योहारों की एक शृंखला है।
दीपावली के पांचों दिनों का अपना-अपना महत्त्व है।
धनतेरस (धन्वंतरी पूजन) : दीपावली की शुरुआत धनतेरस से होती है। इस दिन लोग धनवंतरी की पूजा करते हैं और सोना, चांदी, आभूषण, बर्तन आदि की खरीदारी करते हैं। व्यापारी वर्ग इस दिन से अपना नया बहीखाता बनाते हैं।
नरक चतुर्दशी: धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इस दिन लोग सूर्योदय से पहले स्नान करते हैं और यमराज की पूजा करते हैं। ऐसा करने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है।
गोवर्धन पूजा: दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है। इस दिन लोग भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं और गायों की पूजा करते हैं।
भाई दूज: दीपावली के पांचवें दिन भाई दूज मनाई जाती है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं।
दीपावली कब मनाई जाती है
दीपावली दशहरे के 21 दिन बाद अक्टूबर से नवम्बर माह के बीच में कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है।
दिवाली 2023 की तारीख:-
दिनांक | त्योहार |
10 नवंबर 2023 | धनतेरस |
11 नवंबर 2023 | छोटी दिवाली |
12 नवंबर 2023 | दिवाली |
13 नवंबर 2023 | गोवर्धन पूजा |
14नवंबर 2023 | भाई दूज |