मोहिनी एकादशी
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्त्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर समुद्र मंथन से निकले अमृत को देवताओं को पिलाकर राक्षसों को बचाया था। हिंदू धर्म में एकादशी व्रतों का विशेष महत्त्व है। हर महीने में दो एकादशी आती हैं, एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करके असुरों से अमृत छीनकर देवताओं को अमृतपान करवाया था। इसलिए इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है।
व्रत का महत्त्व
पुराणों के अनुसार, मोहिनी एकादशी का व्रत विधि-विधान से करने से मनुष्य मोह माया से निकल जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत से सभी मनोकामनाएँ भी पूर्ण होती हैं। मोहिनी एकादशी का व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने से मनुष्य धन, समृद्धि और मोक्ष प्राप्त करता है। मोहिनी एकादशी के दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। शास्त्रों में मोहिनी एकादशी का व्रत सबसे उत्तम बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर असुरों का वध किया था। कहते हैं इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है। इतना ही नहीं एकादशी का व्रत करने से घर परिवार में सुख शांति बनी रहती है और व्यक्ति को धन बुद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
मोहिनी एकादशी व्रत की कथा
एक समय की बात है, सरस्वती नदी के किनारे बसे भद्रावती नगर में द्युतिमान नामक चंद्रवंशी राजा राज्य करता था। उसी नगर में एक धन-धान्य से परिपूर्ण एवं शांत स्वभाव वाला धन पाल नामक वैश्य भी रहता था। वह सदा किसी न किसी पुण्यकर्मों में लगा रहता था। उसने जनहित्त में अनेक कुंए, प्याऊ लगवाएँ तथा धर्मशालाएँ, मठ एवं बगीचे बनाकर लोगों की अत्यधिक सेवा की। उसने सड़कों के किनारे आम, नीम जामुन आदि के अनेक छायादार पेड़ लगवाएँ। भगवान विष्णु जी की कृपा से उसके पांच पुत्र थे।
उनमें सुमना, सद्बुद्धि, मेधावी और सुकृति तो अपने पिता के समान बड़े धर्मात्मा थे, परंतु धृष्ट बुद्धि अपने नाम के अनुकूल ही बड़ा दुष्ट था। उसका मन सदा ही पापों में लगा रहता था। वह अपने पिता के धन का दुरुपयोग करता रहता था तथा उसने न तो देवी-देवताओं का पूजन किया और न ब्राह्मणों एवं पितरों का कभी आदर-सत्कार किया। एक दिन उसके पिता ने तंग आकर दुखी ह्रदय से उसे उसके दुराचरण के लिए घर से निकाल दिया तब उसके सभी बंधु-बाँधवों ने भी उसका परित्याग कर दिया। ऐसे में दुखी होकर वह भूख-प्यास से परेशान होकर इधर-उधर भटकने लगा।
कहते हैं जब किसी के पुण्य कर्म उदय होते हैं तो उन्हें संतों के दर्शन करने तथा उनके उपदेश सुनने का मौका मिलता है। ऐसे ही किसी पिछले पुण्य कर्म के प्रभाव से धृष्ट बुद्धि घूमते हुए महर्षि कौण्डिल्य जी के आश्रम में जा पहुँचा। तब वैशाख का महीना चल रहा था तथा महर्षि गंगास्नान करके लौट रहे थे। धृष्ट बुद्धि महर्षि के सामने हाथ जोड़कर उनसे अपने दुखों को दूर करने के लिए प्रार्थना करने लगा तो उन्हें उस पर दया आ गई। महर्षि ने उसे मोहिनी एकादशी का व्रत करने को कहा। धृष्ट बुद्धि ने महर्षि के कहे अनुसार मोहिनी एकादशी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से वह अपने सभी पाप बंधनों से छूट गया और अंत में उसे प्रभु का धाम प्राप्त हुआ।
एकादशी व्रत के नियम
एकादशी व्रत हिंदू धर्म में एक महत्त्वपूर्ण व्रत है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और वह मोक्ष प्राप्त करता है। विद्वानों का मत है कि एकादशी व्रत के नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है।
मोहिनी एकादशी के पुण्य फल
मोहिनी एकादशी व्रत को करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने से मनुष्य धन, समृद्धि और मोक्ष प्राप्त करता है। मोहिनी एकादशी के दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। पुण्य फल वह फल है जो सत्कर्म करने से मिलता है। सत्कर्म से तात्पर्य है, शास्त्रों के अनुसार जीवन में आचरण करना, दूसरों की मदद करना, धर्माचरण करना, आदि। पुण्य फल से मनुष्य को सुख, शांति, समृद्धि, मोक्ष, आदि प्राप्त होते हैं।
मोहिनी एकादशी पर क्या करें?
कुशा या दुर्वा घास डालकर स्नान करना अत्यंत शुभ होता है। कुशा या दुर्वा घास को पवित्र माना जाता है। मोहिनी एकादशी के दिन कुशा या दुर्वा घास डालकर स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
तिल का लेप लगाकर स्नान करना लाभकारी होता है। तिल को भी पवित्र माना जाता है। मोहिनी एकादशी के दिन तिल का लेप लगाकर स्नान करने से शरीर स्वस्थ रहता है और मन को शांति मिलती है।
मोहिनी एकादशी पूजा विधि
मोहिनी एकादशी को भगवान श्री कृष्ण के पूजन का विधान है। इस दिन निम्नलिखित विधि से पूजा करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और मनुष्य को धन, समृद्धि और मोक्ष प्राप्त होता है।
पूजा की सामग्री:
- भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर
- गंगाजल
- दूध
- दही
- घी
- शहद
- शक्कर
- फल
- फूल
- धूप
- दीप
- अगरबत्ती
- चंदन
- तुलसी
- प्रसाद
वर्तमान वर्ष 2024 में मोहिनी एकादशी की तिथि
2024 में, मोहिनी एकादशी 19 मई को है।
एकादशी तिथि प्रारम्भ: 18 मई 2024, 11: 22 AM बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 19 मई 2024, 01: 50 PM बजे
व्रत पारण का समय: 5: 28 AM से 8: 12 AM बजे