आजकल सोशल मीडिया का जमाना है इसीलिए हर पर्व त्योहार में व्हाट्सप्प तथा मैसेंजर उस त्योहार के शुभकामनाओं से भर जाता है.
आज भी कुछ ऐसा ही है और हर तरफ से दशहरा एवं विजयादशमी की शुभकामनाएँ मिल रही है…!
लेकिन, उन शुभकामनाओं में कहीं दशहरा तो कहीं विजयादशमी लिखा हुआ है.
शायद, मेरे अधिकांश मित्र विजयादशमी और दशहरे को एक ही त्योहार के अलग अलग नाम मानते हैं.
जबकि, ऐसा नहीं है.
क्योंकि, विजयादशमी और दशहरा दोनों अलग-अलग त्योहार है और अलग अलग कालखण्ड में घटित घटनाओं के कारण मनाया जाता है…
लेकिन, समुचित जानकारी के अभाव में विजयादशमी और दशहरे को एक ही मान लिया जाता है.
असल में…. दशहरा और विजयादशमी दोनों ही हम हिन्दुओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार हैं.
लेकिन, चूँकि दोनों ही त्यौहार एक ही दिन पड़ते हैं अतः कई लोग इन्हें एक ही समझ बैठते हैं.
शायद ऐसा इसीलिए भी है कि दोनों ही त्यौहार दस दिनों तक मनाये जाते हैं और दसवें दिन इनका समापन होता है.
परंतु, सच्चाई ये है कि…. दशहरा और विजयादशमी भले ही एक साथ पड़ते हैं…
किन्तु, दोनों के मनाने की वजह एकदम अलग अलग है और दोनों के मनाने के तरीके भी अलग अलग हैं.
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भगवान राम अपने पिता दशरथ की आज्ञा का पालन करते हुए चौदह वर्षों के लिए वनवास को स्वीकार किया.
और, वन जाते समय उनके साथ उनकी पत्नी माता सीता और उनके भाई लक्षमण भी उनके साथ गए.
वनवास के दौरान भगवान राम ने कई स्थानों का भ्रमण किया और फिर एक जगह कुटिया बना कर रहने लगे.
इसी बीच लंकापति रावण छल से माता सीता को वहां से अपहरण करके अपने महल में स्थित अशोक वाटिका में ले गया.
भगवान राम ने सीता को बहुत खोजा और कई लोगों से सहायता ली.
तथा, अंत में पवनपुत्र हनुमान ने सीता का पता लगाया.
फिर भगवान राम ने वानर सेना की सहायता से समुद्र पर पुल बनाया और लंका पर आक्रमण कर दिया.
इस क्रम में नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ.
और, अंततः भगवान राम ने आश्विन मास की दसवीं तिथि को अधर्मी रावण का वध कर दुनिया को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलवाई.
भगवान राम के इसी जीत के उपलक्ष्य में हर साल दशहरा मनाया जाता है.
दूसरी तरफ…. विजयादशमी भी हिन्दुओं का एक अति महत्वपूर्ण त्यौहार है.
और, विजयादशमी हर वर्ष उसी दिन पड़ता है जिस दिन दशहरा होता है यानि यह भी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दसवीं तारीख को ही पड़ता है.
और, विजय दशमी को भी असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है.
तथा, यह भी दस दिनों तक चलने वाला त्यौहार है.
लेकिन, इसमें शुरू के नौ दिनों को नवरात्र और दसवें दिन को विजयादशमी कहते हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बहुत ही अधर्मी असुर राजा हुआ करता था जिसका नाम महिषासुर था.
उसने ब्रह्मा से वरदान पा लिया था जिसकी वजह से देवता समेत कोई भी उसे मार नहीं सकता था.
अपनी इसी क्षमता और शक्तियों के बल पर उसने देवताओं को हराकर इंद्रलोक पर अपना अधिपत्य हासिल कर लिया था.
सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि…. समस्त पृथ्वीलोक पर भी उसी का अधिकार चलता था.
जबकि, महिषासुर अत्यंत ही अत्याचारी राजा था… जिस कारण लोग उसके अत्याचार से त्राहि त्राहि कर रहे थे.
आख़िरकार…. ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ने अन्य देवताओं की सहायता से अत्याचारी महिषासुर का अंत करने के लिए एक शक्ति की रचना की.
इसी शक्ति का नाम देवी भगवती (दुर्गा) पड़ा.
देवी दुर्गा में सभी देवताओं की शक्तियां समाहित थी.
देवी और महिषासुर में भयंकर युद्ध हुआ.
और, अंततः…. नौ दिन तक लगातार भीषण युद्ध होने के पश्चात् दसवें दिन देवी ने महिषासुर का वध किया और संसार को उसके आतंक और अत्याचार से मुक्ति दिलाई.
इसी जीत के उपलक्ष्य में हर साल देवी दुर्गा की पूजा की जाती है और इस त्यौहार को “विजयादशमी” कहा जाता है.
विजयादशमी में…. पूरे दस दिनों तक त्योहार मनाया जाता है जिसमे शुरू के नौ दिनों तक देवी की पूजा अर्चना की जाती है
एवं, दसवें दिन उन मूर्तियों का किसी नदी में विसर्जन कर दिया जाता है.
कई लोग इन नौ दिनों तक व्रत रखते हैं जिसमें योगी जी और मोदी जी भी हैं.
नवरात्र के नवें दिन… 9 कुंवारी कन्याओं को देवी स्वरूपा मानकर उनकी पूजा की जाती है एवं उन्हें भोजन वस्त्र आदि दी जाती है.
विजयादशमी को शक्ति पूजा भी कहते हैं और इस दिन शस्त्र पूजा भी की जाती है.
क्योंकि, कहा जाता है कि…. प्रभु राम ने भी रावण वध करने के पहले इस दिन देवी शक्ति की पूजा की थी और उनसे आशीर्वाद लिया था.
अगर ऐतिहासिक परिपेक्ष्य में बात की जाए तो विजयादशमी की घटना पहले हुई है और दशहरे की घटना बाद में.
शायद इसीलिए…. दुर्गा पूजा के नवरात्र के बाद हमलोग दशहरा मनाने लगते हैं…!
फिर भी… विजयादशमी और दशहरा दोनों ही असत्य पर सत्य की विजय एवं बुरी शक्तियों पर अच्छी शक्ति की विजय का ही त्योहार है.
और, ये दोनों ही त्योहार हमें ये सीख देते हैं कि तात्कालिक तौर पर बुरी शक्ति चाहे कितनी भी ताकतवर क्यों न हो जाये लेकिन उनका विनाश निश्चित है..!
इसीलिए, अभी वर्तमान समय में भी जो बुरी शक्तियाँ खुद को काफी शक्तिशाली और अजेय समझ बैठी है उन्हें विजयादशमी एवं दशहरे से ये सीख जरूर ले लेनी चाहिए.