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बदलता भारत मेरा अनुभव

Badalta Bharat

Badalta Bharat

रामराज्य न्यूज़ संपादकीय श्रृंखला: #बदलता_भारत_मेरा_अनुभव

अभियान की शुरुआत: भारत सरकार का #बदलता_भारत_मेरा_अनुभव अभियान सभी नागरिकों को आमंत्रित करता है कि वे बताएं कैसे सरकारी योजनाओं ने उनके जीवन को बदला है। ब्लॉग, फिल्म, शॉर्ट्स या क्विज़—आपकी रचनात्मकता को मिलेगा राष्ट्रीय मंच। यहाँ भाग लें

अध्याय 1: जब समय खुद रुक गया

2014 में भारत का स्थान वर्ल्ड बैंक की रैंकिंग में 142वां था। 2020 तक यह 63 हो गया। कारण? लालफीताशाही पर डिजिटल प्रहार।
UDYAM पोर्टल से MSME रजिस्ट्रेशन, अब 1.3 करोड़ से ज़्यादा। MUDRA ऋण ₹7 लाख करोड़+, स्टार्टअप इंडिया के तहत 75,000+ उद्यमी।

Udyam digilocker

अध्याय 2: पासपोर्ट, पोर्टल और भरोसा

DigiLocker और आधार की साझेदारी से अब सब कुछ डिजिटल। 13 करोड़+ उपयोगकर्ता, 100 करोड़+ डॉक्युमेंट्स एक क्लिक में।

यह सुविधा नहीं, डिजिटल अधिकार है।

अध्याय 3: जब सब्सिडी सीधी पहुंची

Direct Benefit Transfer (DBT) के जरिए ₹30 लाख करोड़ से अधिक की राशि सीधे खातों में भेजी गई। अब सब्सिडी में ना धोखा है, ना देरी।

अब सरकारी सहायता में पारदर्शिता भी है, आत्म-सम्मान भी।

अध्याय 4: जब सेवा घर आई

MP eDistrict, Akshaya Centre और UMANG से 4,500+ सेवाएँ अब घर पर उपलब्ध।

यह शासन नहीं, स्मार्ट नागरिकता है।

अध्याय 5: जब व्यवसाय सपना नहीं, सिस्टम बना

MCA21 पोर्टल से 1 दिन में रजिस्ट्रेशन। GST, एक्सपोर्ट, लाइसेंस—all online.

JAM Trinity (जनधन, आधार, मोबाइल) इस बदलाव की रीढ़ बनी।

श्रृंखला में आगे:

निष्कर्ष

यह बदलाव चुपचाप आया, मगर सब कुछ बदल गया। अब सरकार एक ऐप है, कतारें इतिहास हैं और पेंशन एक SMS में।

यह भारत की वह तस्वीर है जो शोर नहीं करती—but it delivers silently.


🔜 आगे क्या: शहरों से खेतों तक

हमने देखा कि कैसे भारत में जीवन आसान हुआ—डिजिटल पहचान, कागज़-रहित स्टार्टअप्स और घर बैठे सरकारी सेवाएं। लेकिन सुगम जीवन का अर्थ अधूरा है, यदि वह उस किसान तक न पहुँचे जो सूरज उगने से पहले खेत में बीज बोता है।

हमारी #BadaltaBharatMeraAnubhav श्रृंखला के अगले लेख में, हम ग्रामीण भारत में हो रहे एक ऐसे बदलाव की कहानी सुनेंगे जो खामोशी से एक नई क्रांति रच रहा है—एक फसल चक्र, एक किसान क्रेडिट कार्ड, और एक सैटेलाइट के ज़रिए।

➡️ अभी पढ़ें: मिट्टी से आत्मनिर्भरता तक – भारतीय किसान की नई कहानी

 

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