खादी सिर्फ एक कपड़ा नहीं बल्कि यह भारत के इतिहास, मूल्यों और आकांक्षाओं का प्रतीक है। भारत में हाथ से कताई और बुनाई की परंपरा लगभग 1000 साल पुरानी है। सिंधु घाटी सभ्यता में इसके स्पष्ट प्रमाण देखे जा सकते हैं। । खादी शब्द ‘खादर’से बना है। हमारे यहां हाथ…
Category: By – विनय सिंह बैस
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रामानंद सागर के श्रीराम
हालांकि भगवान राम की मर्यादा और रामायण की महिमा तो सर्वकालिक है। लेकिन चिर निद्रा में सोये और अपने महान इतिहास को लगभग विस्मृत कर चुके हम सनातनियों को जब कोई जामवंत आकर याद दिलाता है कि तुम तो मर्यादा पुरुषोत्तम के वंशज हो! तुम्हारी रगों में रघुकुलनंदन का लहू…
शारदीय नवरात्रि – स्मृति
“अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्द नुते। गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते।। भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥“ बानी कुमार द्वारा लिखित और पंडित बीरेंद्र कृष्ण भद्र की आध्यात्मिक वाणी और पंकज कुमार मलिक द्वारा संगीतबद्ध महिषासुर मर्दिनी की वंदना और यशगान आकाशवाणी के माध्यम से महालया अमावस्या…
कातिक आने को है
कातिक आने को है !! सुबह घास में पड़ने वाली ओस सूरज की पहली किरण पड़ते ही मोतियों सी चमकने लगी है। अब सुबह -शाम ठंडक बढ़ने लगी है । अजिया ने कल ही सारे रजाई- गद्दा धूप में डाल दिए हैं। कह रही थी अब मोटे चद्दर से भी…