नेपाल के मध्य-पश्चिमी पहाड़ी ज़िले दैलेख में एक ऐतिहासिक खोज हुई है जिसने न केवल नेपाल की ऊर्जा आकांक्षाओं को नई दिशा दी है, बल्कि भारत और चीन जैसे क्षेत्रीय शक्तिशाली देशों का ध्यान भी आकर्षित किया है। भैरवी ग्रामीण नगरपालिका–1, जलजले क्षेत्र में मीथेन गैस का एक विशाल भंडार मिलने की पुष्टि हाल ही में चाइना जियोलॉजिकल सर्वे और सीएनपीसी छुआनछिंग ड्रिलिंग इंजीनियरिंग कंपनी द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट में की गई। यह खोज न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, बल्कि क्षेत्रीय कूटनीति और आर्थिक सहयोग की दृष्टि से भी निर्णायक मानी जा रही है।
ऊर्जा की दिशा में क्रांतिकारी कदम
रिपोर्ट के अनुसार, अब तक मात्र एक अन्वेषण कुएं से ही 1.12 अरब घनमीटर मीथेन गैस की पुष्टि हुई है। समीपवर्ती तीन अन्य स्थलों में भी समान मात्रा में गैस पाए जाने की संभावना है। प्रारंभिक वैज्ञानिक आकलन बताते हैं कि दैलेख में कुल गैस भंडार 43 अरब घनमीटर तक हो सकता है—जो नेपाल की 50 वर्षों की घरेलू गैस आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
यह केवल ईंधन की खोज नहीं है, यह ऊर्जा क्षेत्र में नेपाल की आत्मनिर्भरता की ओर एक निर्णायक मोड़ है। दशकों से नेपाल पेट्रोलियम और गैस के लिए बाहरी स्रोतों—विशेषकर भारत—पर निर्भर रहा है। यदि यह भंडार वाणिज्यिक रूप से दोहन योग्य सिद्ध हुआ, तो नेपाल न केवल अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा कर सकेगा, बल्कि संभावित रूप से अपने पड़ोसी देशों को निर्यात भी कर सकता है।

मीथेन गैस: आधुनिक और स्वच्छ ऊर्जा
मीथेन (CH₄) एक जीवाश्म ईंधन है जो जैविक पदार्थों के लाखों वर्षों तक दबे रहने से उत्पन्न होता है। यह प्राकृतिक गैस का प्रमुख घटक है और इसे बिजली उत्पादन, खाना पकाने, और स्वच्छ मोबिलिटी समाधान जैसे CNG वाहनों में उपयोग किया जाता है। यह कोयले और डीजल की तुलना में जलने पर कम प्रदूषण करता है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन भी अपेक्षाकृत कम करता है।
नेपाल में वर्तमान में उपयोग हो रही एलपीजी गैस प्रोपेन और ब्यूटेन का मिश्रण होती है, जबकि मीथेन को CNG (Compressed Natural Gas) के रूप में उच्च दबाव में संग्रह और वितरण किया जाता है। यदि नेपाल में पाइपलाइन नेटवर्क और प्रसंस्करण केंद्र स्थापित किए जाते हैं, तो यह देश ऊर्जा की दिशा में स्वच्छ, किफायती और दीर्घकालिक समाधान की ओर अग्रसर हो सकता है।
स्थानीय ज्ञान और वैज्ञानिक सहयोग की सफलता
दैलेख में सदियों से स्थानीय समुदायों ने जमीन से प्राकृतिक गैस की लौ उठती देखी थी। यह स्थानीय ज्ञान आधुनिक वैज्ञानिक शोध की नींव बना। नेपाल सरकार ने 2021 में चीनी कंपनियों के साथ साझेदारी कर चार कुओं की खुदाई शुरू की थी। इनमें से एक कुएं से मिले आंकड़ों ने अब तक की सबसे सफल ऊर्जा खोज का रास्ता खोला है। 4,013 मीटर गहराई तक की गई खुदाई नेपाल के इतिहास की सबसे गहरी ड्रिलिंग मानी जाती है।
भारत की भूमिका: सहयोग, विशेषज्ञता और स्थायित्व
भारत दशकों से नेपाल का भरोसेमंद विकास सहयोगी रहा है—चाहे वह जलविद्युत परियोजनाएँ हों, क्रॉस-बॉर्डर तेल पाइपलाइन या आपातकालीन आपूर्ति। इस नई खोज में भी भारत की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो सकती है। भारत के पास प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में व्यापक अनुभव है: प्रोसेसिंग तकनीक, पाइपलाइन इन्फ्रास्ट्रक्चर, CNG वाहन नीति, और नियामक ढांचा।
नेपाल इन क्षेत्रों में भारत की विशेषज्ञता का लाभ उठाकर एक सुरक्षित, मज़बूत और सस्टेनेबल गैस इकोसिस्टम स्थापित कर सकता है। दोनों देशों के बीच खुली सीमाएँ, साझा संस्कृति और आर्थिक समावेशिता पहले से ही इस साझेदारी को बल प्रदान करती हैं। भारत का यह सहयोग नेपाल की आत्मनिर्भरता में बाधा नहीं, बल्कि एक उत्प्रेरक हो सकता है।
भू-राजनीतिक संतुलन और साझा हित
चीन ने खोज के शुरुआती चरणों में वैज्ञानिक और तकनीकी योगदान दिया है, और नेपाल के साथ उसकी बीआरआई (Belt and Road Initiative) जैसी पहलों में भी भागीदारी रही है। दूसरी ओर, भारत नेपाल का पारंपरिक, लोकतांत्रिक और भौगोलिक निकटतम साझेदार है। ऐसे में यह खोज दोनों देशों की दिलचस्पी और संभावित सहयोग का विषय बनी हुई है।
कुछ विदेशी विश्लेषकों ने इसे चीन और भारत के बीच प्रतिस्पर्धा के रूप में देखा है, लेकिन नेपाल की नीति संतुलित कूटनीति और समावेशी सहयोग की रही है। काठमांडू यह स्पष्ट कर चुका है कि किसी भी साझेदारी का उद्देश्य आत्मनिर्भरता, पारदर्शिता और दीर्घकालिक विकास होगा—not zero-sum competition।
भारत की परिपक्व कूटनीति और नेपाल की संप्रभुता के प्रति सम्मान इस प्रक्रिया को सुगम बनाते हैं। यह साझा दृष्टिकोण दक्षिण एशिया को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर और पर्यावरणीय रूप से उत्तरदायी भविष्य की ओर ले जा सकता है।
कैसे होगा गैस का व्यावसायिक उपयोग?
मीथेन गैस जब जमीन से निकाली जाती है तो उसमें जलवाष्प, कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फर यौगिक जैसे अशुद्धियाँ होती हैं। इन्हें प्रसंस्करण केंद्रों में फ़िल्टरिंग, ठंडा करने और रासायनिक विधियों द्वारा हटाया जाता है। शुद्ध मीथेन को फिर:
- CNG टैंकों में भरकर वाहनों में उपयोग किया जा सकता है।
- पाइपलाइन द्वारा घरों और उद्योगों तक पहुँचाया जा सकता है।
- गैस टर्बाइनों में बिजली उत्पादन के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
इस पूरी प्रक्रिया के लिए नेपाल को बुनियादी ढाँचा विकसित करना होगा, जिसमें भारत जैसे देशों की तकनीकी और निवेश सहायता महत्त्वपूर्ण हो सकती है।
निष्कर्ष: एक नई ऊर्जा यात्रा की शुरुआत
दैलेख की यह खोज केवल भौगोलिक या वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं है, यह नेपाल के लिए एक आत्मनिर्भर भविष्य की आशा है। भारत के लिए यह फिर से एक सहयोगी नेता बनने का अवसर है—जो ज्ञान, संसाधन और सम्मानजनक भागीदारी के माध्यम से नेपाल की इस ऊर्जा यात्रा में साथ दे सकता है।
नेपाल, भारत और चीन—इन तीन देशों के लिए यह क्षण आपसी विश्वास, साझा विकास और पर्यावरणीय उत्तरदायित्व का प्रतीक बन सकता है। यह केवल गैस नहीं, बल्कि क्षेत्रीय सहयोग का नया अध्याय है।
[By – Menuka Shahi, Nepal]
