📍 रामराज्य न्यूज़ संपादकीय श्रृंखला: #बदलता_भारत_मेरा_अनुभव
थीम 3 – नारी शक्ति – परिवर्तन की वाहक
शक्ति का उदय: जब नारी शक्ति ने भारत का भाग्य फिर से लिखा
🪔 पूर्वपीठिका: भारत की कहानी आगे बढ़ती है
पिछले अध्याय में हमने मिट्टी में उगते बदलाव की बात की थी। आज, हम घरों, स्कूलों, लैबों और पंचायतों की ओर बढ़ते हैं। क्योंकि अगली क्रांति किसी मशीन में नहीं, बल्कि सोच में है। और इस क्रांति का नाम है – नारी शक्ति।
यह कोई नारा नहीं, यह एक जीवित, जाग्रत, और आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर है।
अध्याय 1: दरवाज़ा नहीं तोड़ा – सिस्टम फिर से जोड़ा
कभी वह पंचायत के बाहर खड़ी होती थी। आज 14 लाख स्थानीय निर्वाचित पदों में से 46% महिलाएं हैं।
झारखंड की आदिवासी सरपंच, जिन्होंने सौर ऊर्जा गांव तक लाई; बुंदेलखंड की जिला परिषद अध्यक्ष, जिन्होंने भू-अभिलेखों को डिजिटल किया—ये सिर्फ उदाहरण नहीं, ये एक नई शासन प्रणाली की रचयित्री हैं।
और ये सब करते हुए वे माँ भी हैं, किसान भी हैं और सेनानी भी।
अध्याय 2: होम साइंस से रॉकेट साइंस तक

2014। मंगलयान ने इतिहास रच दिया। और इस मिशन के पीछे थीं सफेद कोट में काम करतीं ISRO की महिला वैज्ञानिकें।
पिछले एक दशक में STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित) में महिलाओं की भागीदारी में 80% वृद्धि हुई है।
‘विज्ञान ज्योति’, ग्रामीण कोडिंग स्कूल्स और छात्रवृत्ति योजनाएं आज बेटियों को चाँद-तारों तक पहुँचा रही हैं।
अध्याय 3: अदृश्य नहीं अब अपराजिता

वह सुबह 5 बजे उठती है। पशुओं को देखती है, पापड़ बनाती है, बच्चों को पढ़ाती है। लेकिन उसे कभी ‘कमाई’ नहीं माना गया।
आज, 83 लाख स्वयं सहायता समूहों में 9 करोड़ महिलाएं कार्यरत हैं।
वे सरकारी अस्पतालों में कैंटीन चलाती हैं, सैनिटरी नैपकिन बनाती हैं, रेलवे स्टेशनों पर मिलेट से बने स्नैक्स बेचती हैं, और GeM पोर्टल से सरकार को आपूर्ति करती हैं।
अब वह केवल काम नहीं करती – वह आर्थिक निर्णय भी लेती है।
अध्याय 4: स्वास्थ्य की सीमा पर प्रहरी
कोविड के दौरान, जब देश रुका – वह चली।
ASHA कार्यकर्ता टीके के डिब्बे लेकर नदियाँ पार कर गईं। आंगनवाड़ी सेविकाएं पत्थरों से गणित सिखाने लगीं।
1.5 लाख स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में महिलाएं नेतृत्व कर रही हैं।
यह सेवा नहीं, यह संकट में नेतृत्व है।
अध्याय 5: लाभार्थी नहीं, अब नेतृत्वकर्ता
जो महिला कभी राशन की लाइन में खड़ी रहती थी, आज वही गाँव की बैंक सखी बन चुकी है।
30 करोड़+ महिलाएं जन धन योजना से जुड़ी हैं। 3 करोड़+ महिला उद्यमी मुद्रा योजना से अपने व्यवसाय चला रही हैं।
वह अब योजना का हिस्सा नहीं—वह योजना की दिशा तय कर रही है।
अध्याय 6: घूंघट से गति तक
अब वह एयर इंडिया की कमांडर है। राफेल उड़ा रही है। नौसेना की जहाज़ संभाल रही है।
कंप्यूटर को 18 की उम्र में छूने वाली युवती अब ऐप डेवलपर बन गई है।
अब प्रतीक्षा नहीं, प्रतिनिधित्व का निर्माण हो रहा है।
अंतिम अध्याय: जब परिवार और समाज ने साथ दिया
नारी शक्ति का असली उत्थान तब होता है जब उसके घर, समाज और राष्ट्र – तीनों उसकी उन्नति में भागीदार बनते हैं।
कानूनों ने राह बनाई, योजनाओं ने संसाधन दिए, लेकिन परिवर्तन तब गहराया जब परिवार ने उसका साथ दिया और समाज ने उसकी भूमिका को स्वीकार किया।
“वह अकेली नहीं बढ़ी—भारत ने उसे सहारा दिया।
और जब नारी बढ़ती है, राष्ट्र प्रगति करता है।”
और यही है – नारी शक्ति, जो परंपरा और प्रगति को एकसाथ लेकर चलती है।
अगला विषय: अधोसंरचना विकास – जब सपनों को मिला सीमेंट और आधार
📣 अब आपकी बारी
अपना अनुभव, रील या ब्लॉग यहाँ साझा करें:
🔗
🛑 अस्वीकरण: यह लेख एक सर्वोत्तम प्रयास के तहत बनाया गया है। कृपया किसी भी त्रुटि या निष्क्रिय लिंक की जानकारी दें।
