पहले दिन का संक्षिप्त विवरण
चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन व्रतियों ने गंगा और अन्य प्रमुख नदियों में स्नान किया और भगवान भास्कर की पूजा की। स्नान के बाद प्रसाद ग्रहण किया गया, जिसमें कद्दू, अरवा चावल, चना दाल और आंवले की चटनी शामिल थी। व्रतियों ने इस दिन चार दिवसीय अनुष्ठान का संकल्प भी लिया।
खरना पूजा का महत्व
खरना का दिन छठ पूजा में विशेष माना जाता है क्योंकि इसी दिन से व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू करते हैं। सूर्यास्त के बाद खरना प्रसाद ग्रहण किया जाता है। बिहार में सूर्यास्त शाम 5.11 बजे के बाद हो रहा है। प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करते हुए निर्जला व्रत आरंभ करते हैं।
खरना का प्रसाद
खरना के दिन विशेष रूप से गुड़ की खीर तैयार की जाती है, जिसमें दूध, चावल और गुड़ का मिश्रण होता है। इसके साथ गेहूं की रोटी या पूरी और केला भी प्रसाद में शामिल होता है। पहले सूर्य देव और छठी मैया को भोग अर्पित किया जाता है, फिर व्रती इसे ग्रहण करते हैं। प्रसाद को परिवार और पड़ोसियों के साथ बांटना शुभ माना जाता है।
खरना पूजा विधि
- सुबह स्नान कर निर्जला व्रत का संकल्प लें।
- साफ-सफाई और पूजा स्थान का विशेष ध्यान रखें।
- सूर्यास्त के समय प्रसाद तैयार करें।
- सूर्य देव और छठी मैया की विधि-विधान से पूजा करें।
- पहले सूर्य देव, फिर छठी माता को भोग अर्पित कर प्रसाद ग्रहण करें।
